
दायर एक याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के बाद शारीरिक संबंध नहीं बनाना हिंदू विवाह कानून के तहत तो क्रूरता होता है, लेकिन भारतीय दंड संहिता के तहत नहीं|
बता दे एक युवक और उसके माता-पिता के खिलाफ आपराधिक मामले को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की गई है|
युवक की पत्नी ने 2020 में आईपीसी की धारा 498 ए और दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा 4 के तहत यह केस दर्ज कराया था|
दरअसल, दोनों की शादी दिसंबर 2019 में हुई थी और वे दोनों मात्र 28 दिन साथ रहे| फरवरी 2020 में पत्नी ने मुकदमा दर्ज कराया था| शिकायत में सास और ससुर भी आरोपी थे, लेकिन मुख्य शिकायत पति के खिलाफ थी, जो ब्रह्माकुमारी संप्रदाय से जुड़ा था| शिकायतकर्ता ने कहा था कि उसका पति लगातार एक ब्रह्माकुमारी बहन के वीडियो देखता है| वह अपनी पत्नी से यह भी कहता था कि उसे शारीरिक संबंधों में कोई दिलचस्पी नहीं है और प्यार शारीरिक प्यार के बजाय आत्मा से आत्मा का प्यार होना चाहिए|
वहीं, ससुराल वालों पर शादी के समय दहेज मांगने और अपने बेटे को उकसाने का आरोप लगाया गया है|
बता दें, इस याचिका पर परिवार अदालत ने शादी रद्द करने का आदेश पारित किया था| कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि पति-पत्नी के साथ ससुराली नहीं रहते थे इसलिए यह मामला 498 ए के तहत नहीं आता| साथ ही हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यह मामला विवाह का पूर्ण नहीं होना तो है, लेकिन क्रूरता में नहीं आता है| इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच तलाक को मंजूरी देते हुए आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया|
