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उत्तराखंड राज्य के नैनीताल में पेड़ों के अनाधिकृत रूप से कटाई को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने नैनीताल समेत आसपास के इलाकों को लेकर तख्त टिप्पणी करते हुए कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी का कहना है कि नैनीताल शहर से सटे क्षेत्रों में दुर्लभ व लुप्तप्राय प्रजातियों का वन क्षेत्र है और लापरवाह लोग घरेलू सीवरेज व ठोस अपशिष्ट को नैनी झील तक पहुंचने वाले बरसाती नालों में बहा रहे हैं। ढलान वाली पहाड़ियों पर कटान से बड़े पैमाने पर पेड़ों की जड़ दिखने लगी है और पहाड़ियों पर हर साल पेड़ों का कटान हो रहा है जिससे भूस्खलन तथा पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुंच रहा है।
वहीं शहर में बिना अनुमति के 148 से अधिक होटल चल रहे हैं इन होटलो को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति नहीं मिली है और यह दूषित पानी व सीवरेज झील में बहा रहे हैं। बता दें कि प्राधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस शिव कुमार सिंह, न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी व विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल के खंडपीठ में नैनीताल निवासी विवेक के पत्र को स्वत संज्ञान में लेते हुए मामले में सुनवाई की गई और कहा कि यदि बिना किसी अधिकार के पेड़ों को काटने पर और कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी और मुआवजे की वसूली पर्यावरण की गणना के आधार पर होगी।
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