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नैनीताल| एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग को गर्भावस्था के 29 सप्ताह 5 दिन में गर्भपात की अनुमति प्रदान की है| कोर्ट ने गर्भ अवस्था में पल रहे भ्रूण के बजाय पीड़ित की जिंदगी को अधिक महत्व बनाते हुए हो आदेश पारित किया है|
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी अधिनियम के तहत गर्भावस्था की 24 सप्ताह में गर्भपात की अनुमति देने का प्रावधान है| न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई जिसमें गढ़वाल मंडल की पीड़िता ने अपने पिता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात की अनुमति की गुहार लगाई थी| याचिकाकर्ता की अधिवक्ता के अनुसार पीड़िता की उम्र 15 साल 9 महीने है| लेकिन दुष्कर्म के कारण वह गर्भवती हुई है| इन परिस्थितियों में यदि याचिकाकर्ता को अपनी गर्भावस्था जारी रखने के लिए मजबूर किया जाए तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके जीवन को जीने की गारंटी का उल्लंघन होगा| अदालत के आदेश पर 24 जनवरी को मेडिकल बोर्ड का गठन कर रिपोर्ट दी गई जिसमें गर्भ 28 सप्ताह 5 दिन का पाया गया| बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि गर्भपात माँ के लिए जोखिम भरा है|
सोच विचार करने के बाद कोर्ट ने फिर आदेश दिया कि मेडिकल बोर्ड के मार्गनिर्देशन में आदेश प्राप्त के 48 घंटे के भीतर मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्त्री रोग विशेषज्ञ की देखरेख में गर्भपात की प्रक्रिया शुरू करें|
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