मासिक धर्म अवकाश -: सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से किया इन्कार, याचिकाकर्ता को कहीं रह बात

छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अवकाश देने के लिए नियम बनाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया है|


शीर्ष अदालत का कहना है कि यह नीतिगत मामला है इसलिए हम इस पर विचार नहीं करेंगे|
याचिका में अदालत से राज्यों और केंद्र को इस संबंध में नियम तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है|


इस मामले को सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संपर्क करने को कहा है|
साथ ही याचिकाकर्ता को यह भी कहा गया है कि यदि नियोक्ताओं को मासिक धर्म अवकाश देने के लिए मजबूर किया गया तो यह उन्हें महिला कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए हतोत्साहित कर सकता है|