आइए कुर्मांचल अखबार के साथ पढ़ते हैं पिथौरागढ़ की कुमाऊनी भाषा में “कारगिल विजय दिवस” पर लिखी प्रेम प्रकाश उपाध्याय की स्वरचित कविता

कारगिल विजय दिवस

चढ़न जब ह्यू डानन पर उ,
आंधी दगाड़ ले लड़न छी
बरफ़ में तापी सूरज जस
रण में दम भर हिटन छी।
ना चिंता प्राणों छि उनान
ना कोई पाछिल छि
बस “जय हिंद” नार दागड़
भारत माँ पे मरण छी।
कारगिल की उ खड़ी चढ़ाई
चढ़ी अपूण वीर जवान छि
शौर्य-गाथा कहते कहते रणबांकुरे देशक पहचान बनी छी।
ह्यू चादर जस बिछ रुसी उ बाटपन
खून जैमे घुला रुसी उ जवान छि।
भारतक हर तिरंगा रंग में
एक शहीदक मुस्कराणिक आवाज छी।
527 दीप जली छी 1999 में जा
रौशन हर इक घर है गैच्छी
माहौल दिवाली जस छी।
हमर जवान सैनिकिक शहादतेली
मां भारती भाल कपाल सबसे उच्च छी।
ना भूल्या हम उ जज्बात कण
जो मातरे वतन ही महान बलिदान छी।
जो मिट गई सीमाओं पर हमार लिजी
उनर नाम सम्मान हमर अभिमान छी।
आज प्रण लियोनी सबू दगड़ियों
देश भक्ति, राष्ट्र रक्षा खातिर
वीर धराक जवान बढ़न छी।
हसी हसी भैर चुनल जैल अपुन बाट
वो कठिन ना बल्कि असंभव ले छी।
देश भक्तिक लौ अनवरत जली र
ये हर भारतीय का सुयण छी।
जो ने गई छोड़ भैर सब कुछ हमारे लिजी
उ गुजरी कलाक हमारा आजाक विजय चिन्ह छी।

प्रेम प्रकाश उपाध्याय “नेचुरल” उत्तराखंड
🇮🇳🙏🇮🇳

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