जानिए प्रसिद्ध पहाड़ी बिच्छू घास के गुण…… सेहत के लिए ऐसे हैं लाभदायक

उत्तराखंड राज्य हमेशा से ही जैव विविधता से भरपूर राज्य रहा है यहां की प्रकृति ने वनस्पतियों और जड़ी बूटियों के रूप में मनुष्य को काफी फायदेमंद चीजें दी हैं जिसका प्रयोग मानव कल्याण के लिए किया जाता है उत्तराखंड में पैदा होने वाली वनस्पतियों और जड़ी बूटियों का प्रयोग सेहत के लिए काफी हद तक किया जाता है आज हम एक ऐसी ही वनस्पति की जानकारी देंगे जो की बिच्छू घास के नाम से प्रसिद्ध है इसे सिसुड़, कंडाली आदि नामों से जाना जाता है।
मगर इसका वानस्पतिक नाम आर्टिका डाईओका है इस पौधे की दुनिया भर में 250 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं इस घास को गढ़वाली भाषा में कंडाली और कुमाऊनी भाषा में सिसुड के नाम से जाना जाता है और यह घास मनुष्य के शरीर के लिए काफी लाभदायक है इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, कैल्शियम, आयरन और विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं और चिकित्सा के क्षेत्र में इसका खूब महत्व है। यदि शरीर में सूजन आ जाए तो इसे लगाने पर सूजन चली जाती है और पित दोष तथा शरीर की जकड़न में भी यह काफी कारगर साबित होता है। इसके बीजों से पेट साफ होता है और साग से पीलिया में काफी मदद मिलती हैं यह घास पीलिया के साथ-साथ मलेरिया से लड़ने में भी सक्षम है। यहां तक कि दुधारू पशुओं को भी बिच्छू घास खिलाई जाती हैं इससे पशु ज्यादा दूध देते हैं।