नई दिल्ली| करीब 7 दशक पुरानी सिंधु जल समझौते में भारत ने संशोधन के लिए पाकिस्तान को एक नोटिस भेजा है|
बता दें कि किशनगंगा और रतले जल विद्युत परियोजनाओं पर मतभेद के समाधान पर पाकिस्तान की हठधर्मिता के कारण भारत ने यह फैसला लिया है| पाकिस्तान इसकी जांच के लिए तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप चाहता है, पर भारत इसके पक्ष में नहीं है|
भारत ने पाकिस्तान की ओर से इसके प्रावधानों के उल्लंघन से नाराज होकर संधि लागू करने के लिए जिम्मेदार आयुक्तों के जरिए यह नोटिस भेजा है| नोटिस पर 19 सितंबर 1960 की संधि में जरूरी बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने पर जोर दिया गया है| इस नोटिस का मूल उद्देश्य पाकिस्तान को संधि के उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों के भीतर अंतर सरकारी वार्ता शुरू करने का मौका देना है| 62 साल के सबक को ध्यान में रखते हुए संधि को अपडेट करने का मौका होगा|
भारत हमेशा संधि को अक्षरशः लागू करने का समर्थक और जिम्मेदार भागीदार रहा है लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता और उसने ऐसी गतिविधियां की है जिससे संधि के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है| इसी के कारण भारत संशोधन के लिए मजबूर हुआ है|