
नई दिल्ली| बिहार और उत्तराखंड में गंगा नदी के जल गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है| जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) में कमी आने के साथ यहां गंगा का पानी नहाने योग्य है| स्पष्ट होता है कि नदी के स्वास्थ्य में सुधार होने लगा है| यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों में दी गई है| बीओडी पानी की गुणवत्ता तय करने का अहम मानक है इसका अभिप्राय जैविक जंतुओं द्वारा ऑक्सीजन के उपयोग से है| निम्न मूल्य होने का अभिप्राय पानी की बेहतर गुणवत्ता से है| आंकड़ों के मुताबिक गंगा का पानी नहाने के मानव के अनुकूल मिला जो अन्य तथ्यों के साथ प्रति लीटर पानी में 3 मिलीग्राम बीओडी की मांग होने पर होता है|
जारी किए गए आंकड़ों में गंगाजल की वर्ष 2015 और 2021 की तुलना हुई है जिसके मुताबिक उत्तराखंड ( हरिद्वार से सुल्तानपुर तक) और बिहार (बक्सर से भागलपुर तक) के हिस्से में गंगाजल में बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर रहा जो अप्रदूषित की श्रेणी में आता है| स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक अशोक कुमार ने कहां की गंगा के दो अन्य मार्गो में जो उत्तर प्रदेश के कन्नौज से वाराणसी के बीच और बंगाल में त्रिवेणी से डायमंड हारबर के बीच प्रदूषण का स्तर श्रेणी 5 रहा जो न्यूनतम है|
