पूरे देश में बाघों के शिकार की घटना दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है इस साल अभी तक 42 बाघों का शिकार हो चुका है जोकि पिछले 5 सालों तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है एक रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि इस वर्ष अभी तक देशभर में अलग-अलग घटनाओं के कारण 132 बाघों की मौत हो चुकी है जिसमें से 42 बाघों का शिकार हुआ है अभी भी बाघों के शिकार के केस बढ़ने की आशंका जताई गई है इससे पिछले वर्ष बाघों की कुल मौतों की संख्या 111 थी जिसमें से 31 बाघों का शिकार किया गया था.
अगर पिछले 10 सालों से देखा जाए तो 2016 में सबसे ज्यादा 50 बाघों का शिकार हुआ था लेकिन इसके बाद लगातार 4 सालों तक बाघों के शिकार में कमी आई डब्यूपीएसआई के टीटू जोसेफ ने कहा कि बाघों की प्राकृतिक मौत का आंकड़ा बढ़ना एक चिंता का विषय नहीं है लेकिन जिस प्रकार बाघों के शिकार हो रहे हैं यह बाघ संरक्षण क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं और सरकारी एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है डब्ल्यूपीएसआईकी रिपोर्ट के अनुसार कहा गया है कि बाघों की मौत का सबसे बड़ा कारण करंट बन रहा है दरअसल लोगों ने लॉकडाउन में लोगों ने जंगली सूअरों के शिकार के लिए करंट लगाएं जिस कारण उन तारों में बाघ फंसने के कारण उनकी मौत हुई ऐसे मामले में भी शिकार का केस होना चाहिए इस साल बाघों की मौत सबसे ज्यादा महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हुई है.
भारत सरकार द्वारा बाघों को विलुप्त होने से बजाने के लिए 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की जिसके तहत टाइगर रिजर्व बनाए गए 1973 74 में नो टाइगर रिजर्व थे अब इनकी संख्या 50 हो गई है इसी प्रकार पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 2005 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी एनटीसीए का गठन हुआ भारत में अभी करीब 2967 बाघ है इन सभी को बचाना भारत सरकार तथा विभिन्न संस्थाओं का काम है और हमें भी इस कार्य में योगदान देना चाहिए.