
देहरादून: उत्तराखंड के बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा हरिद्वार विधायक मदन कौशिक की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। हरिद्वार लाइब्रेरी घोटाले (Haridwar library scam) में सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। हरिद्वार लाइब्रेरी घोटाले में कोर्ट में सच्चिदानंद डबराल ने एसएलपी दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Hearing in Supreme Court in library scam case) ने 14 अक्टूबर तक मामले में जवाब पेश करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस मामले को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष तथा तत्कालीन विधायक मदन कौशिक और इस मामले से जुड़े सभी अधिकारियों से जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि अभी तक पुस्तकालयों का संचालन नहीं हुआ है। जबकि, सरकार की तरफ से कहा गया था कि पुस्तकालयों का संचालन 2019 में हो गया था।
देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक के द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए राशि आवंटित की गई थी। वहीं, पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट भी कर दिया गया। मगर आज तक किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया| इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर तत्कालीन विधायक मदन कौशिक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया है।
बता दें 8 जून को को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की थी। इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया था। सुनवाई में सरकार की तरफ से कोर्ट में शपथ-पत्र पेश कर कहा गया कि सरकार ने सभी पुस्तकालय नगर निगम को दे दिए हैं। नगर निगम इनका संचालन कर रहा है। इसलिए जनहित याचिका का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है। शपथ-पत्र के आधार पर कोर्ट ने इस जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया था। तब मदन कौशिक को हाईकोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिली थी।
