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नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार पेंशन से अटल आयुष्मान योजना के तहत अनिवार्य कटौती नहीं कर सकती है| सभी नागरिकों को इस योजना में बने रहने या न बने रहने का विकल्प देना चाहिए|
बताते चलें कि मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में बीते दिवस इस मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई| यह याचिका देहरादून निवासी गणपत सिंह बिष्ट की ओर से दायर की गई थी| हाईकोर्ट ने इस पर 15 दिसंबर 2021 के उस अंतरिम आदेश पर अमल करने को कहा जिसमें सरकार को आदेशित किया था कि वह पेंशन से राज्य स्वस्तिक प्राधिकरण की ओर से संचालित अटल आयुष्मान योजना के तहत अनिवार्य कटौती नहीं कर सकती|
हाईकोर्ट ने पूर्व में यह स्पष्ट किया था कि जो लोग इस योजना का लाभ नहीं उठा रहे हैं उनसे अनिवार्य कटौती नहीं की जा सकती| सरकार को सभी नागरिकों को इस योजना में बने रहने या न बने रहने का विकल्प देना चाहिए| फिर 7 जनवरी 2022 को सरकार की ओर से विकल्प संबंधी एक विज्ञप्ति निकली| लेकिन 25 अगस्त 2022 से सरकार ने उन लोगों से भी कटौती कर ली जिन्होंने यह विकल्प पत्र नहीं भरा था और जिन्होंने इस सेवा का लाभ नहीं उठाया था|
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