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2002 के गोधरा ट्रेन आगजनी मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है| इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि वह करीब 17 से 18 साल से जेल में है और उनकी अपील पर सुनवाई में अभी समय लगेगा|
सीजीआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ में सुनवाई हुई|
इस दौरान चार अन्य दोषियों को राहत देने से इंकार कर दिया गया| उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है|
बताते चलें कि गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस दौरान कहा कि ट्रेन जलाने के मामले में उनकी भूमिका के कारण 4 आरोपियों की जमानत याचिकाओं में उन्हें कुछ दिक्कत है|
दरअसल, फरवरी 2002 में ट्रेन की एक बोगी में आग लगने की घटना में 59 लोग मारे गए थे, जिसके कारण राज्य में दंगे हुए| सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील संजय हेगड़े ने सुझाव दिया कि अदालत चारों दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर सकती है, जिसकी जमानत का मेहता ने विरोध किया|
कहा कि 4 दोषियों की जमानत अर्जी 2 सप्ताह के लिए स्थगित की जाए| एक अन्य वरिष्ठ वकील ने भी पीठ से चार आरोपियों की जमानत याचिका खारिज नहीं करने और उनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया|
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