
गरुड़ (बागेश्वर) । प्रतिमांह की भांति इस बार भी मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा सत्संग का आयोजन भौरा-गागरीगोल स्थित तारादत्त काण्डपाल के निवास भवन में किया गया। सत्संग की शुरुआत संयोजक तारादत्त काण्डपाल ने गुरु-बंदना से की गयी। तदुपरान्त महात्मा प्रेमानंद, महात्मा सारिका बाई, महात्मा बसन्ती बाई द्वारा सत्संग की महिमा एवं सत्संग का मानव समाज पर पड़ने वाले प्रभाव पर विस्तृत प्रकाश डाला गया। उन्होंने समाज में मर्यादित जीवन शैली को अपनाते हुए अपने -अपने पाल्यों में उन संस्कारों को जागृत करने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि पूर्व में सत्संग के लिए गुरुकुल की पद्धति थी जहां गुरु कृपा से उनमें सारे संस्कार जागृत किये जाते थे।आज समाजिक आधुनिकता की दौड़ में मानव समाज इन सबसे हटता जा रहा हैं। ज्ञान अर्जित करने के लिए सत्संग जरुरी हैं। बिना गुरु कृपा के सबकुछ सम्भव नहीं है। ज्ञान का उदय गुरु कृपा से ही सम्भव हैं।
सतसंग में डुगर सिंह,राम सिंह राना,बसन्त बल्लभ, जगदीश सिंह,संजय सिंह, प्रेम सिंह बोरा सहित अनेक ग्रामीण महिलाएं व पुरुष शामिल थे।
