उत्तराखंड में सामूहिक हत्याकांड के चश्मदीद ने बताई आंखोंदेखी

देहरादून| बीते दिवस रानीपोखरी के नागाघेर में परिवार के पांच सदस्यों की निर्मम हत्या के बाद हड़कंप बचा हुआ है| इस घटना के एक चश्मदीद ऐसे भी है जिन्होंने हत्यारे को रोकने के लिए गुहार लगाई| मगर आरोपी के सिर पर खून इस कदर सवार था कि उसने अपने पड़ोसी की एक न सुनी और अपने ही खून के रिश्तो को तार-तार कर दिया| घर का ही सदस्य अपने खून के रिश्तो का कत्ल इतनी निर्ममता से कैसे कर सकता है? सभी की जुबान पर यही बात आ रही है|


घर के भीतर का मंजर तो यह था कि उसे देखकर कोई भी सिहर उठे| वैसे तो इस घटना की जानकारी आसपास के नागरिकों को तुरंत पता चल गई थी| लेकिन इस घर के पड़ोस में रहने वाले पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य सुभाष जायसवाल इस घटना के ऐसे प्रत्यक्षदर्शी है, जिन्होंने हत्यारे को समझाने की भी कोशिश की|


बताते चलें कि सोमवार सुबह करीब 7:00 बजे किचन में नाश्ता बना रही अपनी पत्नी नीतू पर महेश ने हमला किया तो नीतू किचन से बाहर भाग गई| जिसे उसने बाहर के कमरे में अपनी मां और दो बेटियों के सामने ही मार डाला| मां को लहूलुहान देख उसकी बेटियों ने मम्मी को मार दिया……, मम्मी को बचाओ……,बचाओ बचाओ की आवाज लगाई| जिसे सुबोध जयसवाल ने सुन लिया| पहले उन्हें लगा कि बच्चों को स्कूल भेजने के लिए डांट लगाई होगी, मगर जब घर में कोहराम मचा तो वह महेश के घर की ओर भागे| गेट भीतर से बंद था जिसके बाद वह दीवार फांदकर भीतर पहुंचे| घर का मुख्य दरवाजा और अन्य सभी खिड़कियां बंद थी| लेकिन घर के पीछे एक खिड़की खुली हुई थी| जहां से उसने देखा कि महेश अपनी पत्नी रितु और बेटी 13 वर्षीय अपर्णा की हत्या कर चुका था| पास में स्कूल की ड्रेस पहने सबसे छोटी बेटी अन्नपूर्णा खड़ी थी| महेश ने सुबोध जायसवाल की आंखों के सामने ही अन्नपूर्णा को भी जमीन पर लिटा दिया और उसका गला काट दिया| इसी बीच सुबोध ने महेश से गुहार लगाई कि वह अन्नपूर्णा को छोड़ दें और ऐसा खूनी खेल न खेले| लेकिन महेश के सिर पर ऐसा खून सवार था कि उसने सुबोध की एक न सुनी| देखते ही देखते अन्नपूर्णा का गला भी काट दिया| सुबोध ने कहा कि यह सब होने तक महेश की मां जीवित थी और वह कमरे के एक कोने में बिस्तर पर दुबकी बैठी थी| अपनी आंखों के आगे इस निर्मम हत्या कांड को देखकर सुबोध जायसवाल फिर से बाहर की ओर आए और उन्होंने आसपास के अन्य लोगों तथा पुलिस को इसकी सूचना दी| कुछ ही मिनट पर पुलिस वहां पहुंच गई| जिसके बाद उन्होंने दरवाजा तोड़कर कमरे में प्रवेश किया| मगर तब तक हत्यारा अपनी मां व एक अन्य दिव्यांग बेटी स्वर्णा की घर के किचन में ही हत्या कर चुका था| हत्या के बाद भी महेश के चेहरे पर कोई शिशक और पश्चाताप का भाव नहीं था|
मिली जानकारी के अनुसार महेश की 4 बेटियां थी| जिसमें से सबसे बड़ी बेटी कृष्णा (15 वर्ष) अपने चाचा व बुआ के पास तपोवन में रहती है| जबकि उसकी तीन बेटियां अपर्णा, स्वर्णा, अन्नपूर्णा नागाघेर में ही रहती थी| चार बेटियों में से एक दिव्यांग थी| जब रसोई के बाहर कमरे में दरिंदे महेश ने चार जिंदगियों को मौत की नींद सुलाई तब भी स्वर्णा रसोई से बाहर नहीं आ सकी| मगर पिता महेश ने रसोई में जाकर उसकी हत्या कर दी| इस निर्मम हत्या हत्या के बाद जिसने भी मासूमों के चेहरे देखे उनके आंसू नहीं रुके| सबसे छोटी बेटी अन्नपूर्णा का शव देखकर तो कोई पत्थर दिल भी पिघल गया होगा क्योंकि अन्नपूर्णा ने अपने स्कूल की यूनिफॉर्म पहनी थी|