डॉ0 महेंद्र मेहरा को मिलेगा शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़ कुमाउनी कविता पुरस्कार……..कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति करेगी सम्मानित

चम्पावत में दिनॉक 10 नवम्बर से 12 नवम्बर तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय कुमाउनी सम्मेल वर्ष शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ कुमाउनी कविता पुरस्कार लेखक डॉ. महेन्द्र सिंह महरा ‘मधु’ को मिलेगा।
कुमाउनी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष यह पुरस्कार कुमाउनी साहित्य में उल्लेखनीय कार्य के लिए एक रचनाकार को दिया जाता है।
डॉ. महेन्द्र सिंह महरा ‘मधु’ कुमाउनी काव्य धारा में गजल विधा का प्रारम्भ करने वाले रचनाकार के रूप में जाने जाते है। कुमाउनी भाषा का प्रथम गजल संग्रह मनैकि बात मनै में रै’ के लेखक’ डॉ. मधु ने श्रीमद्‌भगवदगीता का कुमाउनी भाषा का अनुवाद कर प्रथम बार डिजिटल प्लेटफार्म में प्रचारित किया। डॉ. मधु हिन्दी कुमाउनी के अतिरिक्त उर्दू बांग्ला व अरबी भाषण के भी जानकार है तथा उनका श्रीमद्‌भगवद‌गीता का उर्दू अनुवाद शीघ्र प्रकाशित होने वाला है।


इसके अतिरिक्त डॉ. महेन्द्र महरा ‘मधु’ ने “मैं पहाड़ तथा “यहाँ ‘ कविता संग्रह भौजी कहानी संग्रह, चुप रहने की क्लास (नाटक) श्री रुद्र‌चन्द्र का संस्कृत साहित्य को योगदान, किरमोई तराण (कुमाउनी सामूहिक कविता संग्रह) पुस्तकें प्रकाशित हैं।
डॉ. महेन्द्र सिंह महरा ‘मधु’ के मूल रूप से ग्राम कौसानी के है तम्रा इण्टर कालेज चितई में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत है। डॉ. मधु को शेर सिहं बिष्ट पुरस्कार मिलने पर छंजर सभा के साहित्यकार डॉ. दिवा भट त्रिभुवन गिरि महाराज, नीरज पंत, मनीष पंत, श्रीमती नीलम नेगी, मीनू जोशी, विनोद जोशी, डॉ. रमेश लोहनी, कोमल जी इनके अतिरिक्त भीम निहं बगडवाल, कल्याण मनकोटी, हीरा सिंह महरा, मुन्ना चौहान, नमन जी आदि ने प्रसन्नता व्यक्त की।