
दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र द्वारा डॉ. मनोज पँजानी की पुस्तक “The Ideological Progression Of The Women’s Question In Colonial India 1820-1947” पर चर्चा का एक कार्यक्रम संस्थान परिसर में किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. इंदु सिंह, पूर्व प्राचार्य, एम के पी (पी जी) कालेज द्वारा की गई। डॉ.इंदु सिंह ने इस पुस्तक को भारत के महिला आन्दोलन के संदर्भ में महत्वपूर्ण कृति बताया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक आधुनिक भारत में महिला आन्दोलन के इतिहास को चरणबद्ध तरीके से बयान करते हुए अनेक पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डालती है।
लेखक डॉ. पँजानी ने बताया कि आरम्भिक वर्ष 1820 का चयन करने के पीछे उनका यह तर्क रहा कि इसी वर्ष में राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के विरोध में लिखना शुरू किया था। 19 वीं सदी में राजा राम मोहन राय अक्षय कुमार दत्ता ईश्वर चन्द्र विद्या सागर, ज्योति वा फुले. एम. जी. राना डे, विरेशा लिगम, और स्वामी दयानन्द सरस्वती ने महिलाओं की स्थति में सुधार लाने के निरन्तर प्रयास किये। सावत्री फुले, तारा बाई शिन्दे, पण्डिता रमाबाई सरस्वती और मोक्षदायनी जैसी महिलाओं ने पितृ सत्ता समाज के मूल्यों के विरोध में अपने स्वर प्रखरता के साथ व्यक्त किये थे।
20 वीं सदी के प्रारम्भ में महिलाओं ने अपने कई सक्रिय संगठन बनाये और स्वदेशी और होम रूल जैसे राजनैतिक आन्दोलनों में भाग लिया। 1917 में महिलाओं ने मताधिकार की मांग की। 1917 से ही महात्मा गांधी महिलाओं को राजनीति में सक्रिय होने के लिए आमंत्रित कर रहे थे। 1917 के बाद हर बड़े राजनीति आन्दोलन में महिलाओं ने भाग लिया। और समानता का दर्जा हासिल करने की मांग की । 1930 के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महिलाओं की बढ़-चढ़ की गई भागीदारी ने ब्रिटिश सरकार की जड़े हिला दीं थीं । 1931 के वार्षिक अधिवेशन में कांग्रेस ने बराबरी के अधिकार का प्रस्ताव पारित किया। 1931-47 तक महिलाओं के विभिन्न संगठनों ने बराबरी को परिभाषित किया। इस बराबरी का अर्थ था आर्थिक स्वतंत्रा, संतान निग्रह का अधिकार, पैत्रिक संपत्ति का अधिकार, तलाक का अधिकार, पुरुष और महिलाओं के लिए समान प्रणाली|
आजादी भारत छोड़ो आन्दोलन में भी महिलाएं सक्रिय थी। उल्लेखनीय बात यह थी कि सुभाष चन्द्र बोस आज़ाद हिन्द फौज में एक झांसी की रानी रेजिमेंट भी थी।
चर्चा के प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के निदेशक प्रो. बी के जोशी ने कार्यक्रम की अध्यक्षा कर रहे डॉ. इंदु सिंह व सभी उपस्थित जनों का स्वागत करते हुए पुस्तक पर परिचयात्मक जानकारी दी। प्रो.बी.के.जोशी ने इस पुस्तक को सामाजिक इतिहास के शोधार्थियों व इस विषय में रुचि रखने वाले पुस्तक प्रेमियों के लिए उपयोगी बताया।
कार्यक्रम का संचालन दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के रिसर्च एसोसिएट श्री चंद्रशेखर तिवारी ने किया।
पुस्तक का प्रकाशन समय साक्ष्य व दून पुस्तकालय द्वारा किया गया है।
इस अवसर पर दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के युवा पाठक सहित केंद्र में कार्यरत पुस्तकालयाध्यक्ष जे बी गोयल, जगदीश महर, सुंदर सिंह बिष्ट, मदन सिंह, सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
