क्लाइमेट चेंज:- पिघलते ग्लेशियरों ने बढ़ाई चिंता, नहीं किए उपाय तो बिगड़ेंगे हालात।पढ़े पूरी खबर,

तेजी से पिघलते ग्लेशियर चिंता और समस्या का सबक बन गए हैं| एशिया महाद्वीप में 150 करोड़ से ज्यादा आबादी पानी के लिए इसी पर निर्भर है| एशिया की ब्रह्मपुत्र, गंगा, मीकोंक और यांग्तज जैसे बड़ी नदियां यहीं से निकलती है| तेजी से बढ़ती पर्यावरण संबंधी समस्या के कारण क्षेत्र को बड़ी क्षति की आशंका है|
एकीकृत पर्वतीय विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्र की तिब्बत प्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कार्बन उत्सर्जन की निगरानी और इस पर नियंत्रण के तेज प्रयास नहीं किए गए तो ग्लेशियर का एक तिहाई पिघल जाएगा इससे पर्यावरण की समस्या खड़ी हो जाएगी| इसके बाद हालात और बिगड़ते जाएंगे|
तिब्बत में रहने वाले लोग अपने अधिकारों और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं| तिब्बती अपने पर्यावरण को बचाना चाहते हैं| लेकिन, चीन के कब्जे के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है| तिब्बत में बड़े पैमाने पर शिकार खेला जाता है| चीनी सरकार पूरे इलाके में अवैध शिकार को प्रोत्साहित करती है और चीनी सरकार की ओर से वनों की लगातार कटाई के कारण आच्छादित क्षेत्र कम हो रहा है| इसके कारण कई इलाकों में बाढ़ जैसे समस्या भी है| वहीं प्राकृतिक संसाधनों का केंद्र होने के कारण तिब्बत को अत्यधिक खनन की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है| यह गतिविधियां कारोबार बढ़ाने के नाम पर चल रही है| पर इनके कारण भूमि और इसकी गुणवत्ता तो प्रभावित हुई ही है| प्राकृतिक संसाधन भी कम हो रहे हैं| उद्योगों का दूषित उत्सर्जन सीधे नदियों में छोड़ दिया जाता है| जिसके कारण पर्यावरण की समस्या और अधिक बढ़ गई है| अनुमान है कि कार्बन उत्सर्जन की निगरानी और इस पर नियंत्रण के तेज प्रयास नहीं किए गए तो ग्लेशियर का एक तिहाई पिघल जाएगा| जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण की समस्या खड़ी हो जाएगी और अधिक हालत बिगड़ जाएंगे|

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