अल्मोड़ा। डॉ केतकी तारा कुमैय्या जो कि विभाग प्रभारी राजनीति शास्त्र तथा एक राजनीतिक विश्लेषक है, उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अब तक के कार्यकाल की तुलना राहुल द्रविड़ से करते हुए यह लेख लिखा है –
उनका मानना है कि क्रिकेट में द वॉल के नाम से विख्यात राहुल द्रविड़ अपनी अमिट छाप अंडर प्रेशर यानी दबाव में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए जाने जाते है और वही प्रतिबिंब उत्तराखंड के राजनीतिक क्षितिज पर नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में भी देखा जा सकता है| जिन्होंने हर बार अपना लोहा विकट से विकट परिस्थितियों में मनवाया है और हर गेंद पर बाउंड्री पार की हैं। जिस प्रकार धामी ने नक्कालो और घूसखोरों के विरुद्ध एक साहसिक निर्णय लेते हुए न केवल योग्यता को न्याय दिया है बल्कि एक सम्मानित स्थान भी दिलवाया है और अवसाद में डूबे और हिम्मत हार चुके कई नौजवानों में उम्मीद की अलख जगाई है वह वास्तव में प्रशंसनीय है। यदि उनका अब तक का कार्यकाल देखा जाए तो धामी एक ऐसा प्रतिमान स्थापित कर चुके है जिसमे हर गेंद में उन्होंने बाउंड्री पार की है । यह कहना अतिशयोक्ति न होगा की इनका नकल विरोधी कानून कई मायनों में उत्तर प्रदेश के तेज तर्रार पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नकल विरोधी कानून से तुलना की जा सकती है जिसकी रूपरेखा तत्कालीन शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तैयार की थी। उस अध्यादेश ने भी कई गतिरोधों का सामना करके एक ऐतिहासिक जीत पाई और आज भी एक क्रांतिकारी कदम के रूप में जाना जाता है। उत्तराखंड की ऐतिहासिक राजनीति में एक विचारणीय एवम्ं अदभुत बात यह बात रही है की अधिकतर मुख्यमंत्री अपने पांच वर्षों के कार्यकाल की पूर्णता को प्राप्त नहीं कर पाए है जिस कारण इस राज्य में 23 वर्ष के अल्पकाल में हमे 10 दिग्गज अनुभवी मुख्यमंत्री प्राप्त हुए है । किंतु अगर हम धामी की रणनीतिक राजनीतिक सेंसिबिलिटी को समझने की समझ को देखे तो उन्होंने राजनीतिक पूर्वाग्रहों को अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से ध्वस्त करते हुए यह प्रमाण जरूर दिया है कि वे उत्तराखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन सकते है जो अपना कार्यकाल पूरा करने का दम रखते है और जैसे इतिहास पे इतिहास रचते आए है वैसे ही आगे भी रचने का माद्दा रखते है। चाहे चुनावों में ऐतिहासिक जीत हो या फिर ऐतिहासिक फैसलों के साथ खड़े होने की बात या फिर बिना झुके हुए विपक्षियों को अपनी कार्यवृत्ति से मुरीद बनाना वास्तव में एक सफल राजनेता का ही नहीं बल्कि उत्तराखंड को एक मजबूत नेतृत्व मिलने का प्रमाण है।
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए , कई राजनीतिक भविष्यवक्ताओं ने उनकी भविष्य की इबारत लिख दी थी की वे घुटने टेक देंगे। किंतु प्रतिद्वंदियों को हर बार अपने नाम के अनूरूप अपने तेज से ध्वस्त किया है और दुगने तेज और ऊर्जा के साथ वे राजनीतिक क्षितिज पर उभरे है। यही आशा करते है कि उत्तराखंड के यशस्वी माननीय मुख्यमंत्री धामी उत्तरोत्तर उन्नति के साथ ही आगामी दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के संकल्प को साकार करे और क्रिकेट की तरह इस रणभूमि में रनों की बौछार लगा दे।