उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के तत्त्वावधान में जनपद चम्पावत द्वारा कालिदासस्य भौगोलिकवर्णनम् विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षा डॉ गीता श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्ष्यीय उद्बोधन में कहा कि कालिदास किसी राज्यविशेष के कवि न होकर सम्पूर्ण भारतवर्ष के कवि है। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजकों को अपनी शुभकामनाएँ दी। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित नवीन चन्द्र जोशी ने कहा कि महाकवि कालिदास के काव्यों को प्रत्येक भारतीय को पढना चाहिए। मुख्यवक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की प्राध्यापिक प्रो. मीरा द्विवेदी रही। उन्होंने कालिदास के रघुवंश में वर्णित भारतवर्ष के विभिन्न प्रदेशों पर विशद प्रकाश डाला। सहवक्ता श्री प्रशांत शर्मा ने कालिदास के अद्वितीय ग्रन्थ मेघदूत में वर्णित मेघमार्ग का वर्णन करते हुए कालिदास का मूलतः उत्तराखंड का होने की सम्भावनाओं पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के शोधाधिकारी डा. हरीश चन्द्र गुरुरानी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन जनपद संयोजक श्री हेम चन्द्र तिवारी, असि. प्रो. संस्कृत द्वारा किया गया। सह–संयोजक अर्जुन पाण्डेय ने अतिथियों का धन्यवाद–ज्ञापन किया। इस अवसर पर डा.̆ जया तिवारी, लैफ्टिनेंट डा.̆ कमलेश शक्टा, डा.̆ अनीता टम्टा, डा.̆ भूप सिंह धामी, डा.̆ प्रकाश चन्द्र जांगी, डाॅ दीपक जोशी, डा.̆ हेम चन्द्र तिवारी, डाॅ. मोती प्रसाद साहू, डा.̆ भूपेन्द्र, डाॅ मृगांक मलासी, डा.̆ संदीप कुमार, डा.̆ आशुतोष सती, डा.̆ उमेश चन्द्र जोशी, अतुल मिश्र, अर्जुन बिष्ट, अनिल ढौंढियाल, गोविंद बिष्ट, गिरिजा शंकर जोशी, दीपक मेहता, रवि लोहनी, रघुवर जोशी, प्रज्ञा, सुहासिनी, पूजा गोस्वामी, शिवानी, स्वस्ति शर्मा, राकेश भाकुनी, योगेन्द्र, संतोष उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।