
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में फैली लंपी वायरस के कारणों की तलाश के लिए केंद्र के वैज्ञानिकों की टीम पिथौरागढ़ पहुंच गई है| जहां वैज्ञानिकों ने पशु चिकित्सकों की बैठक ली और वायरस के प्रभाव और अब तक बचाव के लिए किए गए कार्यों की समीक्षा की|
बताते चलें केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय में संयुक्त आयुक्त डॉ. विजय, आईसीएआर बंगलुरु के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ मधुसुधन रेड्डी ने पिथौरागढ़ में पशु चिकित्सकों की बैठक ली| बैठक में पर्वती क्षेत्र में ही लंबी वायरस की फैलने को लेकर चर्चा हुई|
इस दौरान अधिकारियों ने आशंका जताई कि पिथौरागढ़ जनपद में नेपाल से बड़ी संख्या में जानवर लाए जाते हैं, नेपाल में इस वायरस की रोकथाम के लिए टीकाकरण का कार्य फिलहाल नहीं हो रहा है| केंद्र से आए अधिकारियों द्वारा कहा गया कि नेपाल सीमा से लगे गांवों में सघन टीकाकरण अभियान चलाया जाए| इस क्षेत्र के प्रत्येक पशुओं का टीकाकरण होना चाहिए| इस दौरान लंपी वायरस के लक्षण और उपचार की विस्तार से जानकारी दी गई और कहा गया कि क्षेत्र में लंपी वायरस का मामला सामने आते हैं वहां रिंग वैक्सीनेशन किया जाए| क्षेत्र के 5 किलोमीटर के दायरे में टीके लगाए जाए| इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए वैक्सीनेशन पर ज्यादा जोर दिया जाना चाहिए|
बता दें पिथौरागढ़ में अब तक 55 हजार पशुओं को टीके लगाए जा चुके हैं| 15 पशुओं की मौत हुई है| 2399 पशु लंपी वायरस से प्रभावित हुए| जिसमें से 1910 स्वस्थ्य हो चुके हैं| वर्तमान में 474 मामले सक्रिय हैं|
