देहरादून| महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के अबॉर्शन की दवा ले रही है और फिर स्थिति बिगड़ने पर गंभीर हालत होने पर इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रही है|
दून अस्पताल में रोजाना पांच महिलाएं ब्लीडिंग अधिक होने पर इलाज के लिए आ रही हैं| इसमें से कई महिलाओं को भर्ती करके खून तक चढ़वाना पड़ रहा है|
बताते चलें कि दून अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रो. डॉ रीना पाल का कहना है कि ‘स्त्री रोग विभाग की ओपीडी में 1 दिन में करीब 300 महिलाएं इलाज के लिए आती हैं| इनमें से रोजाना करीब 5 मरीज ऐसी होती है, जो अबॉर्शन की दवा खाने के बाद परेशानी बढ़ने पर अस्पताल आती हैं| ऐसी 10 मरीजों में एक की स्थिति गंभीर होती है, जिस कारण उन्हें भर्ती करके खून चढ़ाया जाता है| इसके बाद सफाई करके बचे हुए बच्चे के अंश को निकाला जाता है|’
बताते चलें कि सरकार की ओर से मेडिकल स्टोर वालों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि डॉक्टर की सलाह के बिना अबॉर्शन की दवा ना दें| लेकिन इसके बावजूद भी अबॉर्शन की दवा बिक रही है| इसे लेकर अस्पताल आ रही महिलाओं पर शोध भी किया जा रहा है| उन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न खाने के लिए जागरूक किया जा रहा है|
डॉक्टरों का कहना है कि 3 महीने से अधिक समय के गर्भ धारण में अबॉर्शन की दवा लेने पर खतरा अधिक होता है| डॉक्टर भी अबॉर्शन के दौरान यह देखते हैं कि गर्भावस्था एडवांस स्टेज में न पहुंच गई हो|
डॉक्टरों के अनुसार, कई बार ऐसा होता है जब बच्चा बच्चे दानी में न ठहरकर फैलोपियन ट्यूब में होता है| महिलाओं को यह बात पता नहीं होती और वह अबॉर्शन की दवा खा लेती हैं| ऐसे में फैलोपियन ट्यूब फट जाती है इसके बाद ब्लीडिंग इतनी अधिक हो जाती है कि महिला की हालत गंभीर हो जाती है| मरीज शॉक में चली जाती है और पल्स भी नहीं मिलती| ऐसी में उनको बचाना भी मुश्किल हो जाता है| इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के अबॉर्शन की दवाई का इस्तेमाल न करें|