ब्रेकिंग न्यूज़ -: देशभर के युवाओं से सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़

देहरादून| देशभर के युवाओं को सरकारी नौकरियों के नाम पर ठगने वाला गिरोह अब एसटीएफ की गिरफ्त में है| अब तक इस गिरोह के तीन सदस्यों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है|


बता दें कि आरोपी भारतीय युवा खेल परिषद नाम से वेबसाइट चलाते थे| जिस पर युवाओं का रजिस्ट्रेशन कराया जाता था| जिसके बाद विभिन्न विभागों के ऑफर लेटर उन्हें मेल के माध्यम से भेज दिए जाते थे| इस तरह एक- एक युवा से डेढ़ से दो लाख रुपए वसूले जाते थे| इस धंधे में और भी कई आरोपी है जो अभी गिरफ्त में नहीं आए है|
एसएसपी एसटीएफ के अनुसार, कुछ दिन पहले युवाओं ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत की| इन युवाओं से डेढ़ से दो लाख रुपये आयकर विभाग, रेलवे और अन्य विभागों में नौकरी के नाम पर लिए गए थे| जिसमें सबसे पहले भारतीय युवा खेल परिषद की वेबसाइट पर इन से 700 रुपये लेकर रजिस्ट्रेशन कराया गया| जांच करते हुए एसटीएफ उस खाते तक पहुंच गई जिसमें यह रुपये जमा कराए जा रहे थे| यह खाते पेटीएम खाते हैं और इनके खाताधारकों के नाम आनंद कुमार महतो, राखी रानी और मनीष कुमार हैं| बीते 6 माह में इन खातों में करीब 55 लाख रुपये जमा किए जा चुके हैं|
जांच के बाद सामने आया कि इस पूरे घटना में कई कमीशन एजेंट भी जुड़े हुए हैं|
एसटीएफ ने गिरोह के सरगना और भारतीय युवा खेल परिषद नाम की इस संस्था के प्रशासक आनंद महतो निवासी सेक्टर 22 नोएडा, योगेंद्र कुमार योगेश निवासी अशोकनगर दिल्ली और संजय रावत निवासी राधेश्याम बिहार मुरादाबाद को गिरफ्तार कर लिया है|
इन गिरफ्तार लोगों में से संजय रावत खुद को भारतीय युवा खेल परिषद का डायरेक्टर बताता है| इनके पास से एक लैपटॉप, तीन मोबाइल और संस्था के कुछ दस्तावेज बरामद हुए हैं| इसके अलावा आनंद महतो ने पूछताछ के दौरान एसटीएफ को बताया कि वह 12वीं पास है| कुछ समय पहले उसकी मुलाकात मनीष कुमार निवासी बिहार से हुई थी| उसके साथ मिलकर उसने भारतीय युवा खेल परिषद नाम से वेबसाइट बनाई और सेक्टर 2 नोएडा में एक अच्छा सा ऑफिस बनाया| वेबसाइट में कुछ संपर्क नंबर भी अपलोड किए गए हैं| युवाओं को सरकारी नौकरी और ट्रेनिंग दिलाने के नाम पर कमीशन एजेंट रखे गए हैं| सभी के लिए कमीशन 10 से 40 हजार रुपये दिया जाता था| ट्रेनिंग और जॉब के नाम पर कमीशन एजेंटों से संपर्क करते और डेढ़ से दो लाख यूथ एसोसिएशन के नाम से खोले गए बैंक खातों में जमा कराते| कुछ युवाओं को अधिक विश्वास दिलाने के लिए उन्हें ट्रेनिंग भी देनी पड़ती थी| जबकि कुछ युवाओं से वह पैसे लेने के बाद संपर्क बंद कर देते थे| ट्रेनिंग पीटी शिक्षक के पद के लिए दी जाती थी| इस हेतु उन्होंने हरिद्वार के श्यामपुर में आश्रम को किराए पर लिया था| जहां 10 से 15 हजार में ट्रेनर रखे गए थे|