जन्मदिन विशेष:- कभी कांग्रेस छोड़ अलग पार्टी बनाने पर मजबूर हो गए थे प्रणब दा, 86वीं जयंती आज

भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न श्री स्वर्गीय श्री प्रणब मुखर्जी जी की आज 86 वी जयंती है प्रणब मुखर्जी भारत के 13 राष्ट्रपति थे जिनका जन्म 11 दिसंबर 1935 को हुआ था, प्रणब दा का पांच दशक से भी लंबा राजनीतिक जीवन रहा,

पांच बार राज्यसभा दो बार लोकसभा तीन बार पश्चिम बंगाल विधान परिषद के सदस्य रहे प्रणब दा के जीवन का एक अनोखा किस्सा जो शायद बहुत कम लोग जानते होंगे वह यह है कि प्रणब मुखर्जी बचपन से ही बेहद जिद्दी स्वभाव के थे वर्ष 1967 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के खिलाफ ही संयुक्त मोर्चा गठबंधन बनाया और 1970 में पहली बार बांग्ला कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के सदस्य बनाए लेकिन 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुखर्जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल कराया क्योंकि बांग्ला कांग्रेस का अपनी पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हो गया था।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया जिसके बाद उन्होंने 1986 में राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस की स्थापना की 3 साल बाद राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी का भी कांग्रेस में ही विलय हो गया जिसके बाद मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी रक्षा वित्त एवं विदेश मामलों सहित कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे उन्होंने 2005 से 2008 के बीच भारत अमेरिका न्यूक्लियर एग्रीमेंट की चर्चा का भी नेतृत्व भारत की ओर से किया।

25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक प्रणब मुखर्जी ने भारत के राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला उन्हें 26 जनवरी 2019 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

प्रणब मुखर्जी एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति रहे जो अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल हुए जिसमें उन्होंने समावेश के मूल्यों के बारे में वार्ता की 31 अगस्त 2020 को 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।