
जुलाई 1972 में अल्मोड़ा में जन्मे अजय टम्टा छह भाई-बहनों में तीसरे स्थान पर हैं| उनके पिता मनोहर लाल टम्टा पोस्टल एंड टेलिकॉम डिपार्टमेंट में अधिकारी थे| मां निर्मला टम्टा ने टीचर्स इंस्ट्रक्टर की नौकरी बच्चों के लिए छोड़ दी थी| अजय बताते हैं कि पोस्टल और टेलिकॉम विभाग में अधिकारी होने के नाते आस-पास के लोग किसी भी दिक्कत के समाधान के लिए पिताजी के पास ही आया करते थे और वह यथासंभव उसका समाधान करते थे| सार्वजनिक जीवन की पहली ट्रेनिंग उन्हें वहीं से मिली|
अजय टम्टा की पढ़ाई मुख्यतः अल्मोड़ा में ही हुई| छात्र जीवन में ही वह एबीवीपी से जुड़ गए थे और फिर पार्टी पॉलिटिक्स में भी सक्रिय हो गए| राजनीति में सक्रिय होने का असर उनकी पढ़ाई पर पड़ा और अजय ग्रेजुएशन पूरी नहीं कर पाए हालांकि राजनीतिक जीवन में तरक्की करते गए| 1996 में अल्मोड़ा (तब अल्मोड़ा-बागेश्वर एक ही ज़िला थे) से ज़िला पंचायत सदस्य निर्वाचित होने के बाद वह अगले ही साल 1997 में अल्मोड़ा (सामान्य) के ज़िला पंचायत अध्यक्ष बन गए| तब वह देश में सबसे कम उम्र के ज़िला पंचायत अध्यक्ष बने थे|
2007 में अजय टम्टा सोमेश्वर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर जीतकर पहली बार विधायक बने और खंडूड़ी सरकार में उन्हें राज्यमंत्री का प्रभार सौंपा गया| 2008 में ही उनकी तरक्की हो गई और वह राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए. 2010 में बीजेपी ने उन्हें पार्टी के अनुसूचित जाति, जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया| 2011 में अजय टम्टा को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया|
लेकिन अजय टम्टा के राजनीतिक जीवन में सब कुछ ठीक ही होता रहा हो ऐसा भी नहीं हुआ| 2009 में अल्मोड़ा (सुरक्षित) संसदीय सीट से वह कांग्रेस के प्रदीप टम्टा के ख़िलाफ़ चुनाव लड़े और हार गए| 2012 में वह फिर सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने| इस बार वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए क्योंकि राजनीति में ज़्यादा बड़ी भूमिका निबाहने का वक्त हो गया था|
2014 के आम चुनाव में अजय टम्टा ने एक बार फिर प्रदीप टम्टा को चुनौती दी और मोदी लहर में सवार वह दिल्ली पहुंच गए| लेकिन अजय टम्टा की उपलब्धि यह रही कि पार्टी के बाकी चारों सांसदों से जूनियर होते हुए भी नरेंद्र मोदी सरकार में उन्हें मंत्री पद दिया गया. 2016 में अजय टम्टा को केंद्रीय वस्त्र राज्यमंत्री की ज़िम्मेदारी सौंपी गई|


