*बड़ी खबर:- अब मनीष तिवारी भी कांग्रेस से आज़ाद होने की राह पर, पढ़े पूरी खबर*

हमें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं। मैं यह पहले भी कह चुका हूं, ‘हम इस संस्था (कांग्रेस) के किरायेदार नहीं हैं, हम सदस्य हैं।’ अजीब बात यह है कि जिन लोगों में वार्ड चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं है, वे कांग्रेस नेताओं के “चपरासी थे और अब ज्ञान दे रहे हैं। कांग्रेस छोड़ने के बाद गुलाम नबी आजाद को लेकर पार्टी में उठा बयानबाजी का तूफान शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा है। इस्तीफे के बाद जहां गुलाम नबी को लेकर कांग्रेस नेताओं के तीखे बयान आए, वहीं, कुछ नेताओं ने आजाद की बात का समर्थन भी किया।

एक इंटरव्यू में जी-23 समूह से जुड़े सवाल को लेकर मनीष तिवारी ने कहा कि हमें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। मैंने 42 साल इस पार्टी को दिए हैं और बाकी लोगों जिन्होंने खत लिखा था मेरे से ज्यादा समय दिया है। इस पार्टी में अपनी जिंदगी व्यतीत की थी। तो किसी को कोई सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। तिवारी ने कहा, मैं पहले भी इस बात को कह चुका हूं, इस संस्था में हम किरायेदार नहीं हिस्सेदार हैं। उन्होंने कहा कि अब आप धक्के मार कर निकालने की कोशिश करोगे तो फिर दूसरी बात है, फिर देखा जाएगा।

गुलाम नबी के बाद मनीष तिवारी ने भी पार्टी की ‘मंडली संस्कृति’ की आलोचना की। आनंदपुर साहिब के सांसद ने कहा कि पार्टी ने दिसंबर 2020 में जी23 समूह के सुझावों को लागू किया होता, तो मौजूदा स्थिति पैदा नहीं होती। मंडली की संस्कृति पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं के चपरासी उन लोगों को ज्ञान दे रहे हैं जिन्होंने पार्टी को दशकों दिए हैं। ये नेता ऐसे होते है, जो नगरपालिका चुनाव भी जीत नहीं सकते। अनुभवी नेता ने कहा कि कांग्रेस सभी चुनाव हार रही है। यह इस बात की पुष्टि है कि पार्टी देश के लोगों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही है।