बड़ा फैसला -: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जज पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पूर्व न्यायिक अधिकारी को किया बहाल

नई दिल्ली| आज मध्य प्रदेश की महिला न्यायिक अधिकारी को बड़ी राहत मिली है| सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत करने वाली न्यायिक अधिकारी को बहाल करने का निर्देश दिया है| बताते चलें कि उत्पीड़न के मामले में न्याय न मिलने से हताश होकर पद से न्यायिक अधिकारी महिला ने इस्तीफा दे दिया था| महिला ने इस आधार पर बहाली की मांग की थी कि उन्हें 2014 में इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया|


महिला अधिकारी ने अपनी याचिका में कहा था कि उच्च न्यायालय के 15 दिसंबर 2017 की न्यायाधीशों की जांच समिति की रिपोर्ट में स्पष्ट निष्कर्ष की अनदेखी की जिसमें अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद से याचिकाकर्ता के 15 जुलाई 2014 के इस्तीफे को असहनीय परिस्थितियों में लिया गया कदम बताया गया था| याचिका में यह कहा गया था कि जांच समिति ने यह कहा था कि याचिकाकर्ता को सेवा से बहाल किया जाए क्योंकि उसने दबाव में इस्तीफा दे दिया था|
जिसके बाद जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ के समक्ष हाईकोर्ट के महापंजीयक की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कुछ दिन पूर्व बहाली का विरोधी किया था| विरोध करते हुए उन्होंने कहा था कि केवल एक अनुचित स्थानांतरण यह घोषित करने की मांग का उचित आधार नहीं हो सकता कि महिला को प्रताड़ित किया गया और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा इसके अलावा उन्होंने कहा था कि कोई न्यायिक अधिकारी आवेग में निर्णय नहीं ले सकता क्योंकि उसका मुख्य कार्य किसी परिस्थिति में प्रभावित हुए बिना निर्णय लेना है| यदि सुविधाजनक पारिवारिक परिस्थितियों वाले किसी अधिकारी के केवल मध्यावधि स्थानांतरण को यदि कर्मचारी पर पर्याप्त दबाव माना जाता है, तो कोई भी न्याय संगठन कोई प्रशासनिक निर्णय नहीं ले पाएगा|