उत्तराखंड में हुए अंकिता हत्याकांड सवालों के घेरे में बना हुआ है| 18 सितंबर को अंकिता अचानक रिजॉर्ट से गायब हो गई थी| जिसकी बाद उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने पटवारी चौकी में दर्ज कराई| जब अंकिता नहीं मिली तो क्षेत्र के लोग हंगामा करने लगे| मामला इतना बढ़ा कि शासन को हस्तक्षेप करना पड़ा| 22 सितंबर को डीएम पौड़ी के आदेश पर जांच पटवारी पुलिस से हटाकर रेगुलर पुलिस को सौंप दी गई| जिसके बाद पुलिस ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित को गिरफ्तार कर लिया| यह तीनों अंकिता को अपने साथ ले गए थे| जिसके बाद अंकिता का कुछ पता नहीं चला और फिर तीनों आरोपियों ने अंकिता को चीला नहर में धक्का देकर मौत के घाट उतारने की बात को बोली थी|
लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक यह हत्याकांड कई सवालों के घेरे में है| पहला सवाल वीआईपी मेहमान को लेकर है, जिसके कारण अंकिता को अपनी जान गवानी पड़ी|
वही, दूसरा सवाल अंकिता भंडारी हत्याकांड का अहम गवाह खुशराज हत्या के अगले ही दिन रेगुलर पुलिस के थाना लक्ष्मणझूला पहुंच गया था और उसके साथ आरोपी सौरभ भास्कर और रिजॉर्ट के तीन कर्मचारी मौजूद थे| इन्हें यहां 4 दिनों तक रखा गया| कोर्ट में जिरह के दौरान गवाह खुशराज ने यह बात बचाव पक्ष को बताई है| इससे पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं|
बता दें कि अंकिता हत्याकांड मामले को रेगुलर पुलिस ने 4 दिन बाद अपने हाथ में लिया| ऐसे में सवाल यह है कि गवाह और आरोपी हत्या के दूसरे ही दिन थाने में क्या कर रहे थे| जब जांच पटवारी पुलिस कर रही थी तो आरोपी और गवाह रेगुलर पुलिस ने अपने पास क्यों बुलाए?
इस संबंध में पुलिस ने विस्तृत जांच करके मामले में कुल 97 गवाह बनाकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी| इसमें से एक रिजॉर्ट का हाउसकीपिंग स्टाफ खुशराज था, इसी ने फोन पर अंकिता के चिल्लाने की आवाज सुनी थी| उसने यह बात मजिस्ट्रेट के सामने भी अपने बयानों में कही थी| खुशराज की बातों से तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं|
खुशराज ने अपने बयान में कहा था कि 18 सितंबर की शाम वह सामान लेकर एक मेहमान के रुम में जा रहा था| रास्ते में उसने अंकिता के रुम को देखा तो वहां पुलकित भी था| अंकिता फोन पर जोर-जोर से चिल्ला रही थी कि उसे वहां से बाहर निकालो| अंकिता के जाने फिर तीनों आरोपियों के लौटने के सारे घटनाक्रम को उसने गवाही के दौरान बताया| खुशराज ने कहा कि वह 19 को ही लक्ष्मण झूला थाने गया था| यहां वह आरोपी और अन्य कर्मचारियों के साथ 4 दिन रहा| जाहिर है यहां इनसे पूछताछ भी की गई होगी| अब सवाल उठ रहा है कि जांच मिलने के बाद चंद घंटों बाद ही खुलासे का दावा करने वाली रेगुलर पुलिस 4 दिनों तक इनके साथ क्या कर रही थी?