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नई दिल्ली| विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने औपचारिक काल के देशद्रोह कानून को हटाने की लगातार हो रही मांग के बीच यह कहा है कि कानून भारत की सुरक्षा और अखंडता बरकरार रखने का हथियार है| कश्मीर से केरल और पंजाब से पूर्वोत्तर तक के हालत को देखते हुए इस कानून को हटाना संभव नहीं है| औपनिवेशिक काल का कानून होना देशद्रोह कानून को हटाने का वैध आधार नहीं हो सकता| इस कानून को बरकरार रखने की आयोग की सिफारिश का बचाव करते हुए जस्टिस अवस्थी ने कहा कि इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए उपाय सुझाए गए हैं|
कहा कि गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) कानून और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून अलग-अलग क्षेत्रों से निपटने का काम करते हैं और देशद्रोह के मामलों से नहीं निपट सकते, इसलिए ऐसे कानूनों से निपटने के लिए अलग कानून की जरूरत है| अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, आयरलैंड, स्पेन और मलेशिया और जर्मनी जैसे देशों में देशद्रोह के कानून है| ब्रिटेन के वहां के विधि आयोग ने देशद्रोह कानून 1977 में हटाने की सिफारिश की थी, लेकिन उसे 2009 में तब हटाया गया जब देशद्रोह जैसे अपराधियों से निपटने के लिए अन्य कानूनी उपाय अपना लिए गए|
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