अल्मोड़ा के 400 साल पुराने कारोबार को मिला जीआई टैग ( GI Tag)

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ताम्र उत्पाद को जीआई टैग मिला है| इस बात की जानकारी खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट करके दी है| जीआई टैग मिलने से जहां तांबे के बर्तनों की डिमांड बढ़ेगी वहीं उत्पादों की भी स्थिति सुधरेगी| सीएम धामी ने रविवार को 7:30 बजे ट्वीट करते हुए लिखा कि ताम्र उत्पादन को जीआई टैग यानी भौगोलिक संकेतक प्राप्त होने से ताम्र उत्पादों की मांग बढ़ने के साथ-साथ उत्पादों को भी आर्थिक रूप से मजबूरी प्राप्त होगी|
बताते चलें कि अल्मोड़ा के तांबे के बर्तनों की देश के साथ विदेशों में भी डिमांड है इसलिए अल्मोड़ा को ताम्र नगरी के रूप में भी जाना जाता है| यहां का ताबा कारोबार करीब 400 साल पुराना माना जाता है| हालांकि अब धीरे-धीरे सरकारों की उदासीनता के कारण आज यह व्यवस्था सिमट गया है| ताम्र व्यवसाय को आज भी कारखाना बाजार में स्थित अनोखेलाल व हरकिशन नामक दुकान ने जिंदा रखा है| यह दुकान विगत 30 सालों से स्थानीय शिल्पीयों के बनाए तांबे के बर्तनों को बाजार उपलब्ध करा रही हैं| कुछ दशकों पहले तक अल्मोड़ा के टम्टा मोहल्ला में करीब 75 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए थे और अब घटकर 10-12 परिवारों में ही सिमट गया है| बताते चलें कि जी आई टैग एक प्रकार का लेबल है| जिसके माध्यम से किसी उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है| टैग इस बात की सुरक्षा प्रदान करता है कि जो उत्पाद जिस भौगोलिक क्षेत्र में पैदा होता है उसके नाम की नकल कोई अन्य व्यक्ति, संस्थाएं या देश नहीं कर सकता| स्थानीय उत्पादों की ब्रीडिंग में जीआई टैग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|