अल्मोड़ा| भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा की ओर से विकसित की गई मटर को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली है| संस्थान के वैज्ञानिकों ने फली सहित खाने योग्य मटर तैयार की है| एआईसीआरपी की बैठक में इस मैटर को स्वीकृति मिल गई है| इससे संस्थान के वैज्ञानिकों में खुशी का माहौल है| संस्थान के निदेशक डॉ लक्ष्मीकांत ने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिक वीपीएसपी 906-1 प्रजाति के मटर पर पिछले 12 साल से शोध कर रहे थे| इस मटर की फली बेहद मुलायम होती है| कोमल अवस्था में दाने बनते समय ही इस मटर को तोड़ा जाता है| इसकी औसत हरी फली उपज 125-175 कुंतल प्रति हेक्टेयर आंकी गई है| यह उत्पादन और गुणवत्ता के मामले में खास तौर पर ठंडी जलवायु के लिए उपयुक्त है| इस प्रजाति के मटर की फसल उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के बाजारों में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए कारगर साबित हो सकती है| इसके उत्पादन से पहाड़ के काश्तकारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी|
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