उत्तराखंड राज्य में अक्सर जंगलों में आग लगने के कारण जंगल नष्ट हो जाते हैं और आग से नष्ट होते हुए जंगलों की हरियाली को बचाए रखने के लिए राज्य में हरेला वन के रूप में मिश्रित जंगल अस्तित्व में लाए जाएंगे। बता दे कि भूमि पर पहली बार जन सहभागिता से विकसित इस मॉडल के स्वरूप को साकार करने के लिए पंचवर्षीय योजना बनाई गई है। प्रदेश में लगभग 900 अनुभागों में हरेला वन विकसित किए जाएंगे जिसमें सोनी बिनसर रानीखेत में करीब 3 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हरेला वन पर काम शुरू कर दिया गया है और प्रत्येक वर्ष विभिन्न जातियों के करीब 1 करोड़ से अधिक पौधे यहां पर लगाए जाते हैं मगर फिर भी उत्तराखंड का वनाच्छादित क्षेत्र अधिक नहीं बढ़ पाया है। इसके चलते अब यह नया कदम उठाया गया है। इसके तहत कुमाऊं व गढ़वाल में आरक्षित वन प्रभाग के 27 डिवीजन की 162 रेंजो के 900 अनुभाग में हरेला वन विकसित किए जाएंगे और हर वन ढाई से 3 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल का होगा।
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