अल्मोड़ा:- कोणार्क से भी पुराना है अल्मोड़ा का यह सूर्य मंदिर…… जानिए मंदिर का इतिहास और विशेषताएं

अल्मोड़ा। उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां पर हिमालय की चोटियों से लेकर तराई तक अनेक प्रकार के मठ मंदिर हैं जहां पर स्वयं भगवान निवास करते हैं। उत्तराखंड लोगों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है और यहां पर लाखों साल पुराने मंदिर हैं। इसी श्रंखला में हम आपको बता दें कि कुमाऊं के अल्मोड़ा नगर में स्थित कटारमल सूर्य मंदिर भी काफी पुराना है इसे कोणार्क सूर्य मंदिर से 200 साल पुराना बताया जाता है। यह मंदिर अल्मोड़ा के अधेली सुनार नामक गांव में स्थित है शहर से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर यह मंदिर है।दरअसल इस मंदिर की अपनी एक कहानी है बताया जाता है कि सतयुग में उत्तराखंड की कंदराओ पर एक असुर द्वारा तप कर रहे ऋषि-मुनियों पर अत्याचार किया जा रहा था जिससे परेशान होकर उस समय द्रोणागिरी कषायपर्वत और कंजर पर्वत के ऋषि-मुनियों ने कौशिकी जो कि वर्तमान में कोसी नदी के नाम से प्रसिद्ध हैं उसके तट पर आकर सूर्य देव की आराधना की थी और तब ऋषि मुनियों की आराधना से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने अपने दिव्य तेज को एक वटशिला में था स्थापित किया और वहीं पर कटारमल जोकि कत्यूरी राजवंश के शासक थे उन्होंने इस सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया।
इस मंदिर की एक बेहद ही खास विशेषता है यह मंदिर केवल एक रात में बनाया गया है राजा कटारमल ने इसका निर्माण केवल एक ही रात में करवाया यह मंदिर उत्तराखंड की शैली में निर्मित है तथा जब सुबह होती है तो सूर्य की पहली किरण कटारमल सूर्य मंदिर पर पड़ती है और सूर्य की किरणों का तेज सूर्य की प्रतिमा पर पड़ता है।