अल्मोड़ा| सामाजिक कार्यकर्ता संजय पांडे ने डॉ अमित सुकोटी से जिला अस्पताल की सुविधाओं को लेकर एक खास बातचीत की|
जिसमें कई प्रश्न शामिल किए गए थे|
संजय पांडे- डॉ आप जिला अस्पताल में जब से तैनात हुए हैं, यहां क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं और आप मरीजों को कौन-कौन सी सुविधाएं दे रहे हैं?
डॉक्टर अमित सुकोटी – मैं अस्पताल में अक्टूबर 2021 में तैनात हुआ। तब से मैं यहां पर बहुत सर्जरी कर चुका हूं। इसमें सात तरीके की सर्जरी होती है, गर्दन से नीचे की। जिसमें हम स्पाइनल में सर्जरी करते हैं। जिसमें हर्नियां, अपेंडिक्स व अन्य सभी सर्जरी की जाती है। इससे मरीजों को एक सुविधा यह मिल जाती है कि उनका आयुष्मान कार्ड से निशुल्क ऑपरेशन किया जाता है। साथ ही अब मरीजों को दूर शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ती है, अब यह सब सुविधाएं यहां उपलब्ध हो गई है। जब मरीज यहां आते हैं और लगता है वह आगे जाएं तब ही उन्हें भेजा जाता है। वैसे 90% सर्जरी यहां की जाती है।
संजय पांडे– जो सुविधाएं हल्द्वानी में मरीजों को मिलती थी और अब जिला अस्पताल में आपके आने के बाद मिल रही है, वो क्या क्या है?
डॉ अमित सुकोटी- पित्ताशय के जो जटिल आपरेशन होते थे तो हल्द्वानी में हो पाते थे, अब जिला अस्पताल में उपलब्ध है। पित्ताशय ( Gall bladder) की नली में पथरी जो होती है उसका भी ओपन विधि द्वारा ऑपरेशन करते हैं। इसके अलावा हर्नियां में जो जटिल समस्याएं होती हैं,उसका भी ऑपरेशन करते हैं। इसके अलावा मैं दूरबीन विधि से भी ऑपरेशन कर सकता हूं। लेकिन अभी यहां दूरबीन नहीं है, जिसके लिए हमने बात की है। जितनी जल्द यहां दूरबीन आ जाएगी तब हम मरीजों को वह सुविधा उपलब्ध कराएंगे।
संजय पांडे– दूरबीन विधि व चीर फार ऑपरेशन में मरीजों के लिए कितना खर्च आ जाता है?
डॉ अमित सुकोटी- अगर मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड है तो निशुल्क होता है। इसके अलावा आयुष्मान कार्ड नहीं है तो मेजर खर्चा आता है। जिसमें 2,500 तक खर्चा आता है। इसके लिए दूरबीन होनी चाहिए। जो अभी यहां नहीं है।
संजय पांडे– आपको अस्पताल में क्या-क्या सुविधाएं मिल रही है और किन चीजों की आपको जरूरत है?
डॉ अमित सुकोटी- अस्पताल में हमें सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिसकी हमें जरूरत है वह है दूरबीन और जनरल एनेस्थीसिया की। यह सुविधाएं आ जाती है तो मरीजों को हमें बाहर ऑपरेशन के लिए नहीं भेजना पड़ेगा। 99% ऑपरेशन यही किए जाएंगे। इसके अलावा लैब आने से भी हम बहुत सी बीमारियों का पता लगा सकते हैं। जिसमें बच्चे दानी निकालने की सुविधा भी उपलब्ध करा सकते हैं।
संजय पांडे– दूरबीन विधि में क्या समय की बचत होती है?
डॉ अमित सुकोटी- दूरबीन विधि के बारे में आपने सही प्रश्न पूछा है। दूरबीन विधि के चार या पांच रीजन होते हैं। जिसमें पहला है कास्मेटिक- जहां इलाज में बड़ा चीरा लगता है और बहुत से टांके लगाए जाते हैं। वहीं दूरबीन में बस एक टांका लगाया जाता है। जो महिलाओं व पुरूषों के लिए अच्छा है। दूसरा है हास्पिटल स्टे- जहां ऑपरेशन करके चीरा लगाकर मरीजों को अस्पताल में एक हफ्ता रहना पड़ता है। वहीं दूरबीन विधि से ऑपरेशन में मरीजों को घर भेज दिया जाता है। ऑपरेशन में दर्द बहुत होता है। दूरबीन विधि में कम दर्द होता है। इन वजह से यह चलन में आई है। लैब की सुविधा होने से मरीजों के लिए यह फायदेमंद होगा। इसके अलावा बवासीर का ऑपरेशन करने के लिए गन की जरूरत होती है। तो अभी उपलब्ध नहीं है। वो सुविधा उपलब्ध होगी तो मरीजों के लिए यह सुविधा भी उपलब्ध हो जाएगी।
संजय पांडे– आपको यह सभी सुविधाएं मिलें तो आप यह सब सेवाएं देंगे?
डॉ अमित सुकोटी- जी बिल्कुल। यह सब सुविधाएं हम मरीजों को उपलब्ध कराएंगे। अभी मुझे यहां एक साल हुआ है। जिसमें मैं अभी तक 200 से अधिक मेजर सर्जरी कर चुका हूं। इसके अलावा एक हजार से ज्यादा माइनर सर्जरी कर चुका हूं। जिसमें बच्चों की सर्जरी भी शामिल हैं। इससे पहले दस साल के बच्चों को बाहर भेजा जाता था ऑपरेशन के लिए। लेकिन मैंने नौ साल के बच्चे का बीपीएल कार्ड में ऑपरेशन किया है। वो भी दस मिनट तक में। वो भी 2.5 सेमी चीरे से। इससे पहले वह कई अस्पतालों में गया हर्नियां ऑपरेशन के लिए। जिसमें 2000- 45000 ऑपरेशन चार्ज था। लेकिन मैंने यहां उसका निशुल्क बीपीएल कार्ड में ऑपरेशन किया।
संजय पांडे– अस्पताल में माइनर सर्जरी के लिए आपने खुद से उपकरण लिए है?
डॉ अमित सुकोटी- जी हां। माइनर सर्जरी के लिए मैंने खुद से माइक्रो उपकरण लिए है। बड़े उपकरण बहुत ज्यादा महंगे हैं जो पाॅसिबल नहीं था। मरीजों की सेवा के लिए छोटे उपकरण लिए हुए हैं।
संजय पांडे– रोबोटिक सर्जरी में आपकी फैलोशिप है?
डॉ अमित सुकोटी- जी हां। मेरी फैलोशिप है। मेरा डिप्लोमा है। मैंने लेब्रोस्कोपिक भी किया हुआ है। मैंने रोबोटिक सर्जरी में फैलोशिप की हुई है। बहुत जल्दी हमें खुशखबरी मिलने वाली है। अक्टूबर में इंडिया अपना खुद का रोबोट लांच करने वाला है। रोबोट की सर्जरी बहुत मंहगी होती है। इसलिए हम इतने आगे नहीं जाते हैं। रोबोट से सर्जरी महंगी होने का एक कारण यह है कि हमें रोबोट बाहर से खरीदने पड़ते हैं। जो 25-30 करोड़ के होते हैं। इंडिया में जो रोबोट चल रहा है वह 9th जेनरेशन है। एक डाॅक्टर है आकाश शर्मा, जो मेरे मेंटोर है। वो एक रोबोट लांच कर रहे है। जब यह आ जाएगा तो हमें जगह जगह यह रोबोट उपलब्ध हो जाएंगे। जो 25-23 लाख में उपलब्ध हो जाएगा। तब उस समय पर हम रोबोटिक सर्जरी कर सकते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता संजय पांडे का कहना है की यह हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि अमित सुकोटी जैसे काबिल सर्जन हमारे शहर में अपनी सेवाएं दे रहे है| खास बात यह है कि वे पहाड़ में रहकर ही यहाँ के लोगों की चिकित्सा सेवा करना चाहते है,अस्पताल प्रबंधन को उनको आवश्यकीय उपकरण उपलब्ध करवाने चाहिए| इस संबंध में वे जिलाधिकारी से भी मुलाकात करेंगे।