अल्मोड़ा। भाषा संवैधानिक संरक्षण से ज्यादा व्यवहारित होने से जीवित रहती है।
14 सितम्बर ‘राष्ट्रीय हिन्दी दिवस’ के अवसर पर राजकीय महाविद्यालय मासी में ‘21 वीं सदी की हिन्दी – सम्भावना एवं चुनौती’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का सञ्चालन बी0 ए0 प्रथम सत्रार्द्ध की छात्रा चित्रा आर्या ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित समस्त प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं ने हिन्दी दिवस पर अपने विचार व्यक्त किए, मनीषा मेहता ने हिन्दी भाषा को गाँधी दर्शन के साथ जोड़कर अपनी बात रखी, चित्रा आर्या ने अपने सञ्चालन वक्तव्य में वैश्वीकरण के दौर में हिन्दी के तकनीकी पक्ष पर अपने विचार व्यक्त किए। अन्य छात्र-छात्राओं ने कविता, गीत, स्लोगन के माध्यम से हिन्दी भाषा की प्रासंगिकता बताई। डॉ0 पुष्कर कांडपाल ने संस्कृत और हिन्दी भाषा के तुलनात्मक आधार पर वर्तमान दौर में हिन्दी की विकास यात्रा पर अपना वक्तव्य दिया। डॉ0 गौरव कुमार ने हिन्दी के राजभाषा पक्ष पर अपने विचार व्यक्त किए और आम जनमानस के लिए राजभाषा के महत्त्व को बताया। डॉ0 पूरन राम ने भाषा के राजनीतिकरण और हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किए, डॉ0 निशा ने हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं सहित अपने विचार व्यक्त किए, कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं प्रभारी प्राचार्य डॉ0 राकेश कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोई भी भाषा केवल भाषा नही बल्कि एक संस्कृति और अस्तित्व है इसलिए भाषा संवैधानिक संरक्षण से ज्यादा व्यवहारित होने से जीवित रहती है। डॉ0 राकेश कुमार ने 21 वीं सदी में हिन्दी भाषा के साहित्येत्तर पक्ष मीडिया, सिनेमा, बाज़ार और तकनीकी पक्ष पर अपना वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में, डी0 एस0 रजवार, गीता तिवारी, सुनील कुमार, सुरेन्द्र कुमार एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।