अल्मोड़ा| किसान अब मडुए की मड़ाई थ्रेशर से कर सकेंगे|
विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा की पहल पर यह संभव हो पाया है| मडुआ थ्रेशर कम परलर के उत्पादन और वितरण के लिए संस्थान ने पंजाब एग्रीकल्चरल इंप्लीमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड सहारनपुर के साथ करार किया है|
यह तकनीक छोटे किसानों के मानव श्रम को कम करने में कारगर साबित होगी|
बताते चलें कि मोटे अनाजों में शामिल और पौष्टिकता से भरपूर मडुआ उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु उत्पादन के बाद किसानों के लिए उसकी मड़ाई करना किसी चुनौती से कम नहीं है| संसाधन न होने के चक्कर में पर्वतीय क्षेत्रों में लोग इसकी मड़ाई पैरों से करते है, जो पारंपरिक है लेकिन इसमें समय और श्रम दोनों अधिक लगता है|
इसी परेशानी से किसानों को मुक्त करने के लिए विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने यह पहल की है| इसके लिए संस्थान ने ‘विवेक मडुआ थ्रेशर कम परलर’ विकसित किया है| जिसे बेहद कारगर माना जा रहा है|
संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके प्रयोग से मडुआ और मादिरा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा| उत्पादन करने वाले किसान आसानी से इसे इस्तेमाल कर सकेंगे| जिससे उनका समय और श्रम दोनों की बचत होगी| इस तकनीक के प्रचलित होने पर किसान मडुआ उत्पादन के प्रति प्रोत्साहित भी होंगे|
साथ ही उत्पादन व विपणन के लिए संस्थान के निदेशक डॉ लक्ष्मीकांत, आईटीएमयू अध्यक्ष डॉ निर्मल कुमार हेवान, फसल उत्पादन विभाग प्राध्यापक डॉ जयदीप कुमार बिष्ट, वैज्ञानिक डॉ श्याम नाथ, पंजाब एग्रीकल्चर इंप्लीमेंन्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संदीप कपूर ने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं|
इसके प्रयोग से किसान मडुआ और मादिरा का छिलका भी अलग कर सकते हैं| आमतौर पर इनके छिलकों को अलग करने के लिए महिलाएं ओखल-मूसल का प्रयोग करती है|