अल्मोड़ा| अल्मोड़ा में आवारा कुत्ते और बंदरों का आतंक छाया हुआ है| सुबह से ही बंदरों का आतंक शुरू हो जाता है| हजारों रुपए खर्च करने के बाद भी बंदरों से अभी तक निजात नहीं पाया गया है| बंदरों को पकड़ने के लिए पालिका लंबे समय से प्रयास में जुटी है| बढ़ते बंदरों की संख्या के चलते लोगों को अभियान का लाभ नहीं मिल रहा है| बंदरों के कारण लोग घर से निकलने में भी झिझकते हैं| वहीं दूसरी ओर नगर में आवारा कुत्तों का आतंक बना हुआ है| कई बार यह कुत्ते बच्चों पर हमला कर देते हैं ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं| नगर में लंबे समय से बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक है बंदर घरों के अंदर से सामान तक ले जा रहे हैं अब तो ऐसा समय आ गया है कि बंदर ना तो कुत्तों से डरते हैं और नहीं किसी व्यक्ति से बल्कि देखने को तो यह मिल रहा है कि बंदर कुत्ते को काटने जाते हैं, कुत्ते बंदर को नहीं|
बंदर और कुत्ते दोनों ही लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं बीते 2 माह में ही 20 लोग बंदरों जबकि 162 लोग आवारा कुत्तों के काटने के बाद घायल होकर जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने पहुंचे हैं| इधर पालिका ने 2018 से नगर क्षेत्र में बंदरों को पकड़ने का अभियान शुरू किया था अब तक पालिका 663 बंदर पकड़ चुकी है| पालिका को 43 हजार से अधिक की रकम खर्च करनी पड़ी| वहीं 2016 से अभियान में अब तक पालिका 1116 कुत्तों को पकड़कर उनकी बध्याकरा कर चुकी है इसके बावजूद भी नगर में कुत्तों और बंदरों का आतंक और अधिक बढ़ता जा रहा है|
इस विषय पर नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद जोशी ने कहा कि कुत्तों और बंदरों के आतंक से निजात दिलाने को पालिका प्रयासरत है| अब तक कुल 1116 कुत्तों को पकड़कर उनका बाध्यिकरण किया जा चुका है जबकि 663 बंदरों को भी पकड़ने का काम पालिका कर चुकी है|