अल्मोड़ा – मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य सुविधाएं उत्तरी पटरी पर…… ले ली नवजात की जान

मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से पटरी पर उतर गई है| वेंलिलेटर के अभाव के कारण प्रसव के बाद रेफर किए गए नवजात की हल्द्वानी में मृत्यु हो गई| नवजात की मौत के बाद उनके परिवार में मातम छा गया है| उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है वह स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दोष दे या फिर अपनी किस्मत को| पर कहीं ना कहीं हम सभी यह जानते हैं कि आज किस प्रकार की स्वास्थ्य व्यवस्था है| जिनके चलते लोगों को इतनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है|


गर्भवती की जान करोड़ों में बनी मेडिकल कॉलेज में खतरे में रहती है| कभी वेंलिलेटर तो कभी अन्य सुविधाओं के कारण मरीजों को जितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है उनका हाल वही समझ सकते हैं| इन सुविधाओं के कारण कभी मां तो कभी नवजात की जान चली जाती है| इस बार भी मेडिकल कॉलेज से रेफर नवजात की मौत ने स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी|


हवालबाग ब्लॉक के कयाला गांव के निवासी गर्भवती हेमा देवी उम्र 23, पत्नी देवेंद्र को 20 दिसंबर को प्रसव पीड़ा उठने पर स्वजन मेडिकल कॉलेज की बेस अस्पताल लेकर पहुंचे| गर्भवती को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया| देर शाम महिला की प्रसव पीड़ा बढ़ गई| रात लगभग 11:00 बजे महिला ने सामान्य प्रसव से एक पुत्र को जन्म दिया| लेकिन अचानक रात में नवजात की तबीयत बिगड़ने लगी| नवजात को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ी| वेंटिलेटर के अभाव के चलते देर रात करीब 3:00 बजे डॉक्टरों ने नवजात को हल्द्वानी के लिए रेफर किया| मंगलवार सुबह 6:00 बजे पिता देवेंद्र पुत्र को लेकर एसटीएच हल्द्वानी पहुंचे| जबकि मां हेमा अल्मोड़ा में ही भर्ती थी| एसडीएच में पुत्र को भर्ती कर वेंटिलेटर में रखा गया| लेकिन बुधवार सुबह 6:00 बजे ही नवजात ने दम तोड़ दिया|


स्वजनों के मुताबिक, डॉक्टरों ने प्रसव से पहले मां और बच्चे दोनों को खतरा बताया था| ठीक 9 महीने के 2 दिन बाद पैदा हुए नवजात को पेट में ऑक्सीजन की कमी बताई गई| पिता द्वारा दोनों को ही बचाने की मन्नत की गई| लेकिन इस बीच नवजात की हालत बिगड़ने पर उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया| बुधवार दोपहर तक भी प्रसूता को यह बात नहीं पता थी, कि उसका पुत्र आप नहीं रहा वह यह उम्मीद लगाए बैठी थी कि उसके पुत्र का हल्द्वानी में बेहतर इलाज चल रहा है