गायन वादन कार्यशाला के द्वितीय दिवस पर मंचस्थ अतिथियों /प्रशिक्षकों के स्वागत के उपरांत बच्चों ने ईश्वर वंदना ” ईश्वर तुझे हैं कहते, भगवान नाम तेरा ” के साथ कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। मुख्य प्रशिक्षक नन्दकिशोर उप्रेती द्वारा बच्चों को संगीत के सात सुरों आरोह ” सा रे ग म प ध नि सा व अवरोध सा नि ध प म ग रे सा ” का अभ्यास कराया। व प्रदीप सती प्रधाध्यापक खुरेड़ी (भिकियासैंण) के द्वारा संस्कृत वन्दना ” आशासु राशी भवदंगबल्ली , भासैव दासीकृतदुग्धसिन्धुम ” का बच्चों को अभ्यास कराया। ढ़ोलक पर मोहनचन्द गड़ाकोटी द्वारा संगत दी गयी। बच्चों ने बारी – बारी से हारमोनियम पर संगीत के स्वरों को आरोह ,अवरोह के साथ बजाने का अभ्यास किया। द्वितीय दिवस पर बच्चों ने ” शुभ मंगल हो, शुभ मंगल हो, कुमाउनी ” जय सरस्वती माँ तू वीणा बजै दे, समूहगान हिन्द देश के निवासी का सामुहिक अभ्यास पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ किया। क्षेत्र में पारंपारिक वाद्ययंत्रों हारमोनियम ढ़ोलक, तबला, हुड़का के साथ बच्चों को हिंदी, कुमाउनी संस्कृत प्रार्थना /वन्दना, समूहगान , राष्ट्रगान सिखाने का यह पहला नवाचारी प्रयास है। कार्यशाला में सक्रिय सहयोग प्रदान करने पर प्रदीप सती को मंच पर नन्दकिशोर उप्रेती व मोहनचन्द्र गड़कोटी द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर आँगनबाड़ी कार्यकर्ती सन्तोषी देवी, अभिभावक के रुप में रामदत्त उप्रेती द्वारा शिरकत की गयी। इस अवसर पर प्रिया बेलवाल, अनमोल उप्रेती, गरिमा, हर्षिता, जानवी,प्रिया नेगी, कार्तिक, अमित, बबीता, यशवन्त, गायत्री,आरुष, सचिन,भूमिका आदि उपस्थित रहे। बच्चों के लिए सूक्ष्म जलपान की व्यवस्था रामदत उप्रेती द्वारा की गयी। अन्त में कार्यशाला के संयोजक कृपाल सिंह शीला द्वारा सभी सहयोगियों व सभी प्रशिक्षकों का कार्यशाला के सफल संचालन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया ।