अल्मोड़ा:- योग शिक्षा के नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम…..एसएसजे विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग की अध्ययन परिषद् बैठक सम्पन्न

योग विज्ञान विभाग सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय देश का प्रथम विश्वविद्यालय है जो योग के सबसे ज्यादा पाठ्यक्रम संचालित करता है।

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के योग विज्ञान विभाग द्वारा अध्ययन परिषद् (Board of Studies) की बैठक आयोजित की गई। बैठक का शुभारंभ ईश प्रार्थना से हुआ, जिसके उपरांत विभागाध्यक्ष एवं संयोजक डॉ. नवीन चन्द्र भट्ट ने बैठक के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए सभी विशेषज्ञों एवं सदस्यगण का स्वागत किया।बैठक में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के ख्यातिप्राप्त योग विशेषज्ञ शामिल हुए, जिनमें मुख्य रूप से प्रोफेसर सुरेन्द्र कुमार त्यागी, पूर्व विभागाध्यक्ष, योग विभाग, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, प्रोफेसर साधना दौनेरिया, विभागाध्यक्ष, योग विज्ञान विभाग, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.),प्रोफेसर अनुजा रावत, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल)उपस्थित रहे।बैठक में नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के परिप्रेक्ष्य में चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम, प्रावीण्य कार्यक्रम (Honours), स्नातकोत्तर कार्यक्रम एवं कौशल संवर्धन कार्यक्रम हेतु योग विषय के पाठ्यक्रमों का पुनर्निर्माण और संशोधन पर चर्चा की गई। बैठक में सभी विशेषज्ञों ने न केवल प्रस्तावित पाठ्यक्रमों की समीक्षा की,बल्कि वर्तमान शैक्षिक और सामाजिक परिदृश्य के अनुरूप आवश्यक संशोधनों एवं संवर्द्धनों का सुझाव भी दिया।इस अवसर पर प्रो. सुरेन्द्र कुमार त्यागी ने स्पष्ट रूप से कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 एक क्रांतिकारी दस्तावेज़ है जो भारत की परंपरा एवं आधुनिकता के मध्य सेतु का कार्य करता है। योग जैसे विषय को उच्च शिक्षा में केंद्र में लाकर यह नीति शिक्षा को भारतीय आत्मा से जोड़ने का कार्य कर रही है। प्रस्तावित पाठ्यक्रम इसी दिशा में एक सार्थक पहल है। प्रो0 साधना दौनेरिया ने पाठ्यक्रम में अनुप्रयुक्त योग, क्लिनिकल प्रैक्टिस, शोध प्रशिक्षण, और व्यावसायिक दक्षता के समावेश पर विशेष बल देते हुए कहा आज योग विशेषज्ञों की आवश्यकता केवल शिक्षण संस्थानों तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य, मानसिक कल्याण, पुनर्वास और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में भी यह आवश्यक हो गया है। पाठ्यक्रम में नवाचार और व्यावहारिकता का समुचित संतुलन जरूरी है। प्रो. अनुजा रावत ने समावेशी शिक्षा, स्थानीयता के साथ वैश्विक दृष्टि, तथा इंटर-डिसिप्लिनरी एकीकरण को योग शिक्षा की नई पहचान बताते हुए कहा कि“योग केवल आसन और प्राणायाम नहीं, यह भारतीय दर्शन और जीवन-दृष्टि का आधार है। NEP 2020 इस समग्र दृष्टिकोण को आत्मसात करती है। प्रस्तुत पाठ्यक्रमों में योग के सिद्धांत, अनुसंधान, और सामाजिक उत्तरदायित्व को समुचित स्थान दिया गया है, जो स्वागत योग्य है। बैठक में निम्नलिखित तीन प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए-1. उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित करिकुलम निर्माण समिति के माध्यम से प्रस्तावित योग विषय के अद्यतन मूल पाठ्यक्रम (Core Curriculum) को स्वीकृति एवं संस्तुति प्रदान की गई।2. चार वर्षीय स्नातक, प्रावीण्य, एवं स्नातकोत्तर कार्यक्रमों हेतु तैयार संशोधित एकल विषय पाठ्यक्रम (Single Major Curriculum) को अनुमोदित किया गया।3. कौशल संवर्धन कार्यक्रम (Skill Enhancement Program), जो छात्रों की व्यवहारिक दक्षता और रोजगारपरक क्षमता को विकसित करता है, उसे भी अध्ययन परिषद् द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई।इसके अतिरिक्त यह भी निर्णय लिया गया कि आगामी शैक्षणिक सत्रों में योग शिक्षा को और अधिक सशक्त बनाने हेतु इंटर्नशिप, साक्ष्य आधारित अनुसंधान, प्राकृतिक चिकित्सा के साथ एकीकृत योग, एवं योग पर्यटन जैसे नवीन प्रावधानों को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। डॉ भट्ट ने बताया कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय योग विज्ञान विभाग देश भर में सबसे ज्यादा योग के पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है।योग विज्ञान विभाग में मर्म चिकित्सा,पंचकर्म चिकित्सा,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में प्रमाण पत्र,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में डिप्लोमा,पीजी डिप्लोमा ,एम ए योग ,पी पीएचडी बी ए योग सहितअनेकों पाठ्यक्रमों का संचालन हो रहा है। बैठक का समापन करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन चन्द्र भट्ट ने कहा कि योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा सम्पूर्ण भारतवर्ष में सबसे न्यूनतम शुल्क पर योग के विभिन्न पाठ्यक्रमों के संचालन करता है वर्तमान में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा में बी0ए0 योग,प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान में प्रमाण पत्र एवं डिप्लोमा, योग विज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा,एम0ए0 योग विज्ञान, पीएचडी आदि पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। उन्होंने विशेषज्ञों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह बैठक केवल पाठ्यक्रमों की स्वीकृति भर नहीं है, बल्कि योग शिक्षा को वर्तमान समय की चुनौतियों के अनुरूप नया आकार देने का संकल्प है। हम ऐसे शिक्षार्थी तैयार करना चाहते हैं जो योग के माध्यम से न केवल आत्मनिर्भर बनें, अपितु समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणा बनें।इस दौरान रजनीश जोशी,डॉ गिरीश अधिकारी,लल्लन सिंह,सीताराम,रॉबिन,हेमलता अवस्थी उपस्थित रहे।

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