बीते शनिवार 25 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में बच्चों के वैक्सीनेशन की घोषणा की थी जिसकी कई वैज्ञानिकों ने सराहना भी की मगर इस मामले में एम्स के स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार को बच्चों के वैक्सीनेशन पर तुरंत कदम नहीं उठाना चाहिए। इससे पहले जिन देशों ने 5- 6 महीने पूर्व ही बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू कर दिया है उसका विश्लेषण करना चाहिए। तथा उन्होंने सरकार के इस फैसले को अवैज्ञानिक बताया है।
इंडियन पब्लिक हैल्थ एसोसिएशन के प्रमुख डॉ संजय राय का कहना है कि सरकार का यह फैसला बिल्कुल अवैज्ञानिक है उन्होंने बताया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सही समय पर सही फैसले लेने के अंदाज से उनकी काफी इज्जत करते हैं तथा उनके बहुत बड़े फैन हैं मगर इस बार प्रधानमंत्री ने बच्चों के हित में निर्णय लेने में थोड़ी जल्दबाजी की है। उनका कहना है कि सरकार को पहले उन देशों के आंकड़ों का विश्लेषण करना चाहिए जिन्होंने 5 से 6 महीने पूर्व बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि वैक्सीन संक्रमण रोकने में कम सहायक है लेकिन यह संक्रमण से हो रही गंभीर मृत्यु दर को रोकती है। उन्होंने बताया कि वैक्सीन से संक्रमण को नहीं रोका जा सकता है क्योंकि बूस्टर डोज देने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं वैक्सीन का उद्देश्य है गंभीरता से मृत्यु दर को रोकना।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोरोना मृत्यु दर 1.5 फ़ीसदी है यानी कि प्रति दस लाख लोगों पर 15000 मौत लेकिन टीकाकरण के जरिए हम 80 से 90 फ़ीसदी मौत होने से रोक सकते हैं इससे प्रति 10 लाख पर 14 से 15 हजार मौतें रोकी जा सकती हैं।
मगर वही अगर हम बच्चों की बात करें तो बच्चों में मौतों का आंकड़ा प्रति दस लाख पर 2 मौत का है लेकिन यदि अगर बच्चों के वैक्सीनेशन में जल्दबाजी की गई तो इसके साइड इफेक्ट भी देखने को मिल सकते हैं। इसलिए पहले हमें उन देशों के आंकड़ों का विश्लेषण कर लेना चाहिए जिन्होंने 5 से 6 महीने पूर्व बच्चों का वैक्सीनेशन आरंभ कर दिया है।