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उत्तराखंड व गुजरात सरकार के निर्णय के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए राज्य समिति बना सकते हैं, जो अधिकार उन्हें संविधान ने दिया है और इसे चुनौती देने के लिए अदालत का रुख नहीं किया जा सकता|
बताते चलें कि शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड व गुजरात सरकार की अपनी-अपनी राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए समितियां बनाने के निर्णय को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया| याचिकाकर्ता वकील अनूप बरनवाल ने समिति गठन के निर्णय की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया था| जिस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ व जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा याचिका में कोई मेरिट नहीं है और इसे सुनने की जरूरत भी नहीं है| राज्यों का ऐसी समितियां बनाना संविधान से बाहर नहीं है| संविधान के अनुच्छेद 162 कार्यपालिका को ऐसी समिति बनाने का अधिकार देता है| संविधान की सातवीं अनुसूची की पांचवी प्रविष्टि राज्यों को ऐसी समिति बनाने की शक्ति देता है|
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