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आज दिनांक 30 जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश की जनता को संबोधित किया तथा अपने विचार साझा किए। इस दौरान प्रधानमंत्री ने हमारे देश की संस्कृति पर भी बातचीत की तथा उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश की संस्कृति की एक झलक मध्य प्रदेश की कॉलरवाली बाघीनी के अंतिम संस्कार पर भी देखी गई जब लोगों ने कॉलरवाली बाघिनी का अंतिम संस्कार बेहद ही स्नेह और सम्मान के साथ किया। तथा लोग इतने भावुक हुए जैसे उनके घर का कोई अपना उन्हें छोड़कर जा रहा हो।
प्रधानमंत्री का कहना था कि जीवित प्राणी के लिए हमारे मन में करुणा हमारे देश की संस्कृति में झलकता है तथा हम भारतीयों के अंदर यह गुण जन्मजात रूप से पाया जाता है। और इसी की एक झलक तब देखी गई जब मध्य प्रदेश की बाघिनी का अंतिम संस्कार लोगों ने बेहद ही स्नेह और सम्मान के साथ किया तथा लोग बाघिनी के चले जाने के बाद काफी दुखी भी हुए। बता दे की कॉलर वाली बाघिनी को वन विभाग ने टी-15 नाम दिया था।
दरअसल हम आपको बता दें कि कॉलरवाली बाघिनी थी कौन। कॉलर वाली बाघिनी का जन्म 2005 में हुआ था और लगभग 29 शावकों को उसने जन्म दिया था जिसमें 25 शावकों को कॉलरवाली बाघिनी ने पाल पोस कर परिपक्व भी बनाया था। और उस बाघिनी को कॉलर वाली बाघिनी इसलिए कहा जाता है क्योंकि 2008 में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने बाघिनी को एक रेडियो कॉलर लगाया था जिस कारण उसे कॉलर वाली बाघिनी के नाम से जाना जाता है। तथा कॉलरवाली बाघिनी की मृत्यु वृद्धावस्था के कारण 15 जनवरी को हुई। और बाघिनी की मृत्यु पर लोगों ने उसे मनुष्यों की तरह ही आदर, सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जिस कारण आज मन की बात कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री ने हमारे संस्कृति की झलक कॉलरवाली बाघिनी को याद करते हुए दिखाई।
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