विशेष -: जानिए चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के बीच का अंतर, चैत्र नवरात्र का महत्व

मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा चैत्र नवरात्र में भी की जाती है और शारदीय नवरात्र में भी आखिर ऐसा क्या है जो दोनों को एक दूसरे से अलग बनाता है? आज 2 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है| साल में दो बार नवरात्र का पर्व आता है| पहला चैत्र के महीने में नवरात्रि के साथ हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है| इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है|
दूसरी नवरात्रि आश्विन माह में होती है जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है| पौष और आषाढ़ के महीने में भी नवरात्रि का पर्व आता है| जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है| लेकिन उस नवरात्र में तंत्र साधना की जाती है| पारिवारिक लोगों के लिए सिर्फ चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही उत्तम माना गया है| दोनों में ही माता रानी के नौ रूपों की पूजा होती है|
आइए जानते हैं चैत्र नवरात्र मनाने का कारण – कहा जाता है कि जब धरती पर महिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया और देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए (क्योंकि महिषासुर को यह वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानवों पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता) ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया जिसके बाद माता रानी ने अपनी अंश से नौ रूप प्रकट किए जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया| यह क्रम चैत के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला तब से इस 9 दिनों का विशेष महत्व है और 9 दिनों को चैत्र नवरात्र के तौर पर मनाया जाने लगा| इसी प्रकार शारदीय नवरात्र मनाने का यह कारण है कि देवी दुर्गा ने अश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उसे 9 दिनों तक युद्ध किया और दसवे दिन उसका वध किया इसलिए इन 9 दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया क्योंकि आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है| इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है| शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है|
अब बात करते हैं इन दोनों नवरात्र के बीच के अंतर की -: चैत्र नवरात्रि के दौरान कठिन साधना और कठिन व्रत का महत्व है इसलिए शारदीय नवरात्रि के दौरान सात्विक साधना, नृत्य, उत्सव आदि का आयोजन किया जाता है| यह दिन शक्ति स्वरूप माता की अराधना के दिन माने गए हैं| चैत्र नवरात्रि का महत्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश , तेलंगाना और कर्नाटक में अधिक है, जबकि शारदीय नवरात्र का महत्व गुजरात और पश्चिमी बंगाल में ज्यादा है| शारदीय नवरात्र के दौरान बंगाल में शक्ति की आराधना स्वरूप दुर्गा पूजा पर्व मनाया जाता है| वहीं गुजरात में गरबा आदि का आयोजन होता है|
चैत्र नवरात्रि के अंत में रामनवमी आती है मान्यता है कि प्रभु श्री राम का जन्म राम नवमी के दिन ही हुआ था जबकि शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन महानवमी के रूप में मनाया जाता है जिसके अगले दिन विजयदशमी पर्व होता है| विजयदशमी के दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का मर्दन किया था| और प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया था| इसलिए शारदीय नवरात्र विशुद्ध रूप से शक्ति की आराधना के लिए माने गए हैं| यह भी माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि की साधना आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करने वाली है वही शारदीय नवरात्रि शारीरिक इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी जाती है|
हम आपको यह बता दें कि यह जानकारी धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है|