साहित्यकार प्रकाश पाण्डेय की कुमाऊंनी कविता “आओ दिवाई मनूनू”….. पढ़िए कुर्मांचल अखबार के साथ

   आओ दिवाइ मनूनू

आओ भै बैणियो दिवाइ मनूनूं, लाल माटैलै धैई द्वार लिपनूं!
चांगवाक बिस्वारल दीनूं ऐपण,द्याप्ताक ठ्या में शुभ लाभ लेखनूं !आओ०!!
माटिका दीपक में रुवै की बाती,फूल खिली हो नाना प्रजाती,
भरी छापरी कैं बटिक चै ल्यूनूं, द्याप्तन हुणि एक माल् गछ्यूनूं !आओ०!!
ऐगो गोवर्धन गै की होलि पुज, च्यूड़ कूटो फिर आलो भैया दूज,
भै बैणिन को प्रेमक छ यो त्यार, पिठ्या लगै बैणी कैं भेटि ऊनूं !आओ०!!
पटाक फुलझड़ि क हैरौ कलाट,अनार जलूण में है रई यास ठाट,
बिजुलिक झकमक मोमबत्तिक उज्याव, सबेलि चौंतार में हम लै लगूनूं !आओ ०!!
छ सबूं थैं बधाई म्यार दगड़ियो, हो लंबी उमर सालों जीयो,
हों लछिमी गणेश मंगलकारी, सब देवों थैं अरज करनूं !आओ०!! दीवाई शुभ मंगलमय हो।
प्रकाश पाण्डेय
कनखल (हरिद्वार)

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