देहरादून| राज्य के एक निजी अस्पताल में मरीज को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ा दिया| जिसके कारण मरीज भी एचआईवी संक्रमित हुआ और उसकी मृत्यु हो गई| जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने इस मामले में अस्पताल को 10 लाख की क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है|
जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के ग्राम चंद्रपुर मचबता निवासी पूजा शर्मा ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में मैक्स अस्पताल मोहाली, सिनर्जी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज देहरादून व ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ वाद दायर किया|
उसने बताया कि उसके पति अनुज शर्मा पेट दर्द से पीड़ित थे| जिस पर 4 अप्रैल 2014 को उन्हें मैक्स अस्पताल मोहाली में भर्ती किया गया| जहां जांच के बाद उनके दोनों गुर्दे खराब बताए गए और चिकित्सालय में गुर्दा प्रत्यारोपण की सलाह दी| जिस पर उन्होंने अपना एक गुर्दा देने का निर्णय लिया| और 5 अप्रैल 2014 को गुर्दा प्रत्यारोपण किया| अब 11 अप्रैल 2014 को उन्हें छुट्टी दे दी गई| जुलाई 2017 में स्वास्थ्य संबंधी जांच के लिए उनके पति को दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया| जिस पर उन में खून की कमी बताई गई| अस्पताल की ब्लड बैंक से लेकर दो यूनिट खून चढ़ाया गया| पर उनके पति के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ| जिस पर वह पति को वापस ले आई| स्वास्थ्य ज्यादा खराब होने पर 3 अगस्त 2017 को उन्हें दून सिनर्जी इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज ले जाया गया| जहां 5 अगस्त 2017 को उनकी मृत्यु हो गई| आगे उन्होंने कहा कि उनकी मृत्यु का कारण एचआईवी बताया गया| जबकि उनकी कई बार खून की जांच हुई थी| जिसमें कभी ऐसा कुछ नहीं दर्शाया गया| बताया कि मैक्स अस्पताल में चढ़ाया गया खून संक्रमित था| आगे उन्होंने कहा, उनके एक बेटी और एक बेटा है जिनकी भरण पोषण का दायित्व उनके पति पर था| वही उनके उपचार पर करीब 5 लाख का खर्च लगा| उनकी आय का भी कोई साधन नहीं है|
यह बात पंजाब मेडिकल काउंसलिंग की रिपोर्ट ने साबित हुई थी खून संक्रमित था, और इसी कारण मृतक एचआईवी संक्रमित हुआ|
बीमा कंपनी ने भी अपना दायित्व निभाया ऐसे में उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया| वही मैक्स अस्पताल को 30 दिन के भीतर क्षतिपूर्ति करने के निर्देश दिए गए| लेकिन अस्पताल की एक लापरवाही ने एक व्यक्ति की जान ले ली जिसे अब वापस नहीं लाया जा सकता भले ही अस्पताल क्षतिपूर्ति कर दे लेकिन पैसों से इंसान को वापस नहीं लाया जा सकता|