उत्तराखंड राज्य में जोशीमठ आपदा को लेकर शासन की चुप्पी साधने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए एनजीटी यानी कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव से पूछा है कि प्रदेश सरकार हालातो को सुधारने के लिए क्या कार्य कर रही है। अंधाधुंध तरीके से अवैध निर्माण, ट्रैफिक जाम, सीवर और अन्य माध्यमों से फैल रहे प्रदूषण के अलावा अनियोजित इंसानी दखल से उत्तराखंड के जोशीमठ में आपदा आई और उत्तराखंड सरकार का रवैया इस मामले में कुछ ठीक नहीं है अभी तक शासन प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है और बिगड़ रहे हालातो को देखते हुए एनजीटी ने नाराजगी व्यक्त की है।
मुख्य सचिव से पूछा है कि सरकार इस मामले में क्या कर रही है उसकी रिपोर्ट दी जाए। इस रिपोर्ट में मुख्य सचिव को बजट आवंटन, जिम्मेदार अधिकारियों को चिन्हित करना और समायबद्ध योजना भी बताना है। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल के आदेश में कहा गया है कि उत्तराखंड सरकार की 19 जून को रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि इन हालात को देखते हुए कोई काम जमीनी स्तर पर नहीं हुआ है और कोई प्रभावी काम होता हुआ भी नहीं दिखाई दे रहा है जब तक यहां पर कोई ठोस काम नहीं किया जाएगा तब तक समस्या हल नहीं हो पाएगी इसलिए एनजीटी ने मुख्य सचिव से जोशीमठ आपदा को लेकर रिपोर्ट मांगी है।