विजयदशमी का त्यौहार नवरात्र के दसवे दिन मनाया जाता है जिसे दशहरा कहते हैं हमारी संस्कृति में भले ही रावण को खलनायक के रूप में जाना जाता है परंपरा के अनुसार दशहरे के दिन रावण का दहन कर असत्य पर सत्य की विजय का पर्व मनाया जाता है लेकिन हमारे ही देश में कुछ स्थानों रावण का दहन नहीं बल्कि पूजा की जाती है|
मंदसौर- मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण की पूजा की जाती है मान्यता है कि मंदसौर का असली नाम दशपुर था और यह रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी का मायका था इसलिए इस शहर का नाम मंदसौर पड़ा दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण यहां रावण की पूजा होती है|
उज्जैन- मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के एक गांव में भी रावण की पूजा होती है यह स्थान उज्जैन के चिखली गांव है यहां के लोगों की मान्यता है कि अगर यह लोग रावण के पुतले का दहन करेंगे तो उनका काम जलकर राख हो जाएगा डर के कारण यह लोग रावण का दहन नहीं करते हैं|
बैजनाथ- हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा काय कस्बा भी रावण की पूजा करता है उनकी मान्यता है कि रावण ने यहां पर शिव की तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मोक्ष का वरदान दिया इसलिए शिव के भक्तों का इस स्थान पर दहन नहीं किया जाता
अमरावती- महाराष्ट्र के अमरावती जिले के गढ़ चिरौली नामक स्थान पर आदिवासी समुदाय द्वारा रावण को भगवान की तरह पूजा जाता है आदिवासियों का पर्व फागुन मैं रावण की खासतौर से पूजा करके मनाया जाता है कहा जाता है कि यह समुदाय रावण हो उनके पुत्र को अपना देवता मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं|
बिसरख- यूपी के बिसरख गांव में रावण का मंदिर बना हुआ है माना जाता है कि बिसरख गांव रावण का ननिहाल था वितरक गांव का नाम पहले विश्वेश्वर था जो रावण के पिता के नाम पर पड़ा|
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