
कुमाऊनी उत्तराखंड की लोकप्रिय भाषा है और साथ ही साथ उत्तराखंड के लोगों की सांस्कृतिक भाषा भी है। तथा उत्तराखंडवासी संविधान की आठवीं अनुसूची में कुमाऊनी भाषा को शामिल करने की मांग कर रहे हैं। कुमाऊनी भाषा की मांग के लिए आगामी 25 दिसंबर से बागेश्वर में तीन दिवसीय कुमाऊनी राष्ट्रीय भाषा सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है।इस कार्यक्रम में ना सिर्फ प्रदेश बल्कि देश विदेश से भी कुमाऊनी भाषा के लेखक पहुंचेंगे। इस सम्मेलन के निमंत्रण पत्र भी इस बार कुमाऊनी में छापे गए हैं।
कार्यक्रम का संयोजन कर रहे किशन सिंह मलड़ा का कहना है कि सम्मेलन के दौरान कुमाऊनी भाषा का साहित्य और सांस्कृतिक विकास तथा इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर मांग तथा कुमाऊनी भाषा की एक विषय के रूप में पहचान के विषय में चर्चा की जाएगी।तथा उन्होंने यह भी बताया कि इस सम्मेलन में प्रदेश से ही नहीं बल्कि देश- विदेशों से भाषा के जानकार आने वाले हैं।
तथा तीन दिवसीय कार्यक्रम में प्रथम दिवस यानी कि 25 दिसंबर 2021 को दोपहर 2:00 बजे कुमाऊनी भाषा पद्य साहित्य, तथा 4:00 बजे से लोकगीतलोक साहित्य से संबंधित कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे तथा द्वितीय दिवस के अंतर्गत यानी कि 26 दिसंबर को देविका लघु वाटिका मंडल सेरा में कुमाऊनी पुस्तकालय का शुभारंभ किया जाएगा। तथा उसके बाद कुमाऊनी भाषा में नाटक व कुमाऊनी भाषा से संबंधित शिक्षा पर मंथन किया जाएगा। तथा कार्यक्रम समाप्ति के तीसरे दिन यानी कि 27 दिसंबर को पुरस्कार वितरण के साथ सम्मेलन का समापन किया जाएगा।
