उत्तराखंड राज्य के रुड़की में स्थित सीबीआरआई के वैज्ञानिक अयोध्या में श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनकी ओर से राम मंदिर की नींव के साथ ही संरचनात्मक डिजाइन, सूर्य तिलक और संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी का कार्य भी किया जा रहा है।
बता दे कि अयोध्या भूकंप की दृष्टि से जोन- 3 में आती है लेकिन राम मंदिर को जोन- 4 के अनुसार बनाया जा रहा है और इसकी उम्र भी 1000 साल होगी। उत्तराखंड राज्य ने भी विभिन्न माध्यमों से राम मंदिर के निर्माण में अपना सहयोग दिया है वही सीबीआर आई के वैज्ञानिक भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को रामलाल की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है इस भव्य मंदिर के निर्माण में रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने अपना योगदान दिया है। सीबीआरआई के निदेशक प्रोफेसर आर प्रदीप कुमार के अनुसार राम मंदिर की नीव ,उसकी संरचनात्मक डिजाइन, सूर्य तिलक और संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी का कार्य भी संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक इस टीम में 10 से 12 वैज्ञानिक शामिल है। वैज्ञानिकों का कहना है कि राम मंदिर की ऊंचाई 161 फिट है और निर्माण में सरिए का इस्तेमाल नहीं हुआ है पत्थर से ही पत्थर की इंटरलॉकिंग की गई है तथा मंदिर में बंशी पहाड़पुर के सेंड स्टोन का प्रयोग किया गया है और इसकी वास्तुकला नगर शैली में है।