
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार में वेद विज्ञान और संस्कृति महाकुंभ का शुभारंभ किया। बता दे कि गुरुकुल कांगड़ी समविवि में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वी जयंती और स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर उन्होंने इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस दौरान उनका कहना था कि गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय हमारे सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और सृजन का प्रमुख केंद्र है और यहां पर उपस्थित शिक्षक व छात्र प्रेरणा के स्रोत हैं, राष्ट्रवादी चेतना और चिंतन के केंद्र हैं। कुछ पश्चिमी विश्वविद्यालय अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति और विकास यात्रा को कलंकित करने में लगे हैं। इस देश में कुछ गिने-चुने लोग हैं जो भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं इसलिए उनकी पाचन शक्ति को ठीक करना होगा वह लोग हमारे ही है लेकिन भटके हुए हैं उन्हें मातृभाषा में समावेशी शिक्षा प्रणाली स्वीकार नहीं है मगर अब वह दिन दूर नहीं जब हर शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि यह हमारे राष्ट्र निर्माण के लिए और विश्व के स्थायित्व के लिए काफी महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति को हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप बताते हुए उन्होंने कहा कि भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए।